यहां ऐसी मान्यता है कि यहां सभी देवी-देवता आकर शिव जी की आराधना करते हैं। गुफा के अंदर का नजारा बेहद ही अलग है। जो इस गुफा में जाता है वो वो बाहर की दुनिया को भूलकर उसके रहस्यों में खो जाता है। अंदर जाने पर आपको पाता चलेगा कि गुफा के अंदर एक अलग ही दुनिया बसी हुई है।
गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिश्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें पृथ्वी पकड़ते देखा जा सकता है। इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी।
संकरे रास्ते से होते हुए इस गुफा में प्रवेश किया जा सकता है। जमीन के अंदर लगभग 8 से 10 फीट नीचे जाने पर गुफा की दीवारों पर हैरान कर देने वाली आकृतियां नजर आने लगती हैं। दीवारों पर हंस बने हुए हैं जिसके बारे में ये माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी का हंस है। गुफा के अंदर एक हवन कुंड भी है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप जलकर भष्म हो गए थे। इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है। देहरादून से पाताल भुवनेश्वर की दूरी 223 किलोमीटर है। आप रोजवेज बस, टैक्सी या फिर अपने वाहन से पाताल भुवनेश्वर जा सकते हैं।