जब पांडवों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसे भगवान शिव की ही करनी समझकर उनसे युद्ध करने के लिए चले गए। जैसे ही पांडव शिवजी से युद्ध करने के लिए उनके सामने पहुंचे उनके सभी अस्त्र-शस्त्र शिवजी में समा गए और शिवजी बोले तुम सभी श्रीकृष्ण के उपासक को इसलिए इस जन्म में तुम्हें इस अपराध का फल नहीं मिलेगा, लेकिन इसका फल तुम्हें कलियुग में फिर से जन्म लेकर भोगना पड़ेगा।
भगवान शिव की यह बात सुनकर सभी पांडव दुखी हो गए और इसी विषय में बात करने और इसका हल जानने के लिए श्रीकृष्ण के पास गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि कौन-सा पांडव कलियुग में कहां और किसके घर जन्म लेगा।
उन्होंने बताया- कलयुग में अर्जुन का जन्म परिलोक नाम के रजा के रूप में हुआ था जिनका नाम ब्रह्मानंद था। भविष्य पुराण के अनुसार, कलयुग में युधिष्ठिर वत्सराज नाम के रजा के पुत्र बने और कलयुग में उनका नाम मलखान हुआ।
इस कलयुग में भीम वीरन के नाम से जन्में थे और वे और उनके राज्य का नाम था वानरस। नकुल कान्यकुब्ज के रजा के रूप में जन्म लेंगे और उनका नाम पड़ेगा लक्षण।
अब बात करें द्रौपदी की तो उनका जन्म अजमेर के पृथ्वीराज के बीती वेला के रूप में होगा। महादानी कर्ण तारक नाम के रजा के रूप में जन्म लेंगे।