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पंचप्रयाग की ये दो नदियां कहलाती हैं सास बहू

पंचप्रयाग की ये दो नदियां कहलाती हैं सास बहू

Jun 16, 2018 / 06:37 pm

Shyam

panch prayag

पंचप्रयाग की ये दो नदियां कहलाती हैं सास बहू

देव भूमि उत्तराखंड की पावन धरती पर पांच ऐसे पवित्र स्थान हैं जिन्हें प्रयाग होने का गौरव प्राप्त है । प्रयाग जहां दो नदियों का मिलन होता है । कहते हैं जहां पर दो नदियों का मिलन होता है उस स्थान पर आध्यात्मिक उर्जा भरपूर होती है । इसलिए इन स्थानों पर ऋषि मुनि अपनी कुटिया बनाकर तप साधना भी किया करते थे । उत्तराखंड के पांच प्रयाग पंचप्रयाग के नाम से जाने जाते हैं और इन्हें तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है । इन पंचप्रयागों का पुराणों में भी महत्व बताया गया है ।

 

सास और बहू के नाम से जानी जाती हैं ये नदियां


गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी नदी को सास और अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है । पंचप्रयाग यह अलकनंदा और भागीरथी दोनों नदियों के संगम पर स्थित है । इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है । भागीरथी के कोलाहल भरे आगमन और अलकनंदा के शांत रूप को देखकर ही इन्हें सास-बहू की उपाधि प्राप्त है ।

 

यहां देवर्षि नारद जी ने की थी तपस्या


पंचप्रयाग बद्रीनाथ से होकर आने वाली मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों के संगम पर स्थित है । ऐसा माना जाता है कि यहीं पर ब्रह्माजी की आज्ञा से देवर्षि नारद ने हजारों वर्षों की तपस्या के पश्चात भगवान शंकर का साक्षात्कार कर सांगोपांग गंधर्व शास्त्र प्राप्त किया था, और यहीं पर नारदजी को ‘महती’ नाम की वीणा भी शिवजी ने प्रदान की थी ।

 

दानवीर कर्ण को भी मिला था वरदान


महाभारत के योद्धा दानवीर कर्ण ने भी यहां तप किया था, उनकी स्थली होने के कारण ही इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पड़ा । यही वह पौराणिक स्थल है जहां कर्ण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्री सूर्य ने कर्ण को अभेद्य कवच, कुंडल और अक्षय धनुष वरदान में दिये थे ।

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