वेद, शास्त्रों, पुराणों आदि में ईश्वर के प्रतिक ब्रह्म और ब्रह्मज्ञान के स्वरूप दो ऐसे चिन्ह बताएं गए है जिनका प्रयोग व्यक्ति दिन में कम से कम एक या अनेक बार करता ही है, कहा जाता है कि इनका नित्य प्रयोग व्यक्ति को कई समस्यों से बचाता है। एक तो ॐ शब्द जो ब्रह्म का ही रूप हैं, और दूसरा है स्वास्तिक का चिन्ह जो सदैव शुभता का प्रतिक माना जाता है। ॐ मंत्र वेदों का एक मात्र ऐसा पावरफूल मंत्र है जिसका नियमित 1000 बार जप करने से कुछ ही दिनों में सभी मनोकामनाएं पूरी होने लगती है।
ॐ शब्द जो स्वयं भगवान शिव का प्रतिक माना जाता है, कहा जाता है कि ॐ शब्द को किसी शुभ मुहूर्त या सोमवार के दिन में चांदी, तांबे, भोजपत्र या अन्य किसी शुद्ध पात्र पर गाय के घी में सिंदूर से बनाकर प्राणप्रतिष्ठित किया जाए तो इस ब्रह्म स्वरूप शब्द में अद्भुत शक्ति होती है, ॐ में अद्रश्य रोग निवारक शक्ति होती है अगर कोई रोगी इसे गले में ताबीज बनाकर धारण करें तो आश्चर्य जनक परिणाम मिलता है।
स्वास्तिक
दूसरा है स्वास्तिक जो ब्रह्मज्ञान के गूढ़ रहस्यों से भरपूर माना जाता है, कहा जाता कि स्वास्तिक के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नहीं माना जाता और इसको घर, दुकान में स्थापित करने से सदैव शुभ ही शुभ होता है, इसे भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का एक रूप भी माना जाता है। अगर स्वस्तिक के चिन्ह पर ध्यान लगाया जाये तो मनुष्य ध्यान की पराकाष्ठा के पार भी जा सकता है।
स्वास्तिक का शुभ चिन्ह सभी धर्मों के लिए उपयोगी माना जाता है, कोई भी व्यक्ति अध्यात्मिक और भौतिक किसी भी रूप में इसका का लाभ ले सकता है। यह भगवान् विष्णु की अनुपम शक्ति से ओत-प्रोत है, अगर किसी के घर में रोज लड़ाई झगड़े होते है तो वे घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर गाय के घी में पीसी हुई हल्दी से एक -एक स्वस्तिक बनायें, कुछ ही दिनों में चमत्कार देखे जा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से आपकी बात सीधे सच्चिदानंद ब्रह्म के पास पहुंच जाती है।
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