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Nirjala Ekadashi: दिव्य फल के लिए निर्जला एकादशी व्रत में जरूर करें यह काम, भूलवश भी न करें ये गलती

Nirjala Ekadashi Vrat Niyam : एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। यह तीन दिवसीय व्रत है, जिसके कुछ जरूरी नियम है। व्रत में इनका पालन करना जरूरी माना जाता है। आइये जानते हैं एकादशी व्रत के नियम क्या हैं और निर्जला एकादशी व्रत में क्या करें और क्या न करें, फलाहार में क्या खाएं …

भोपालJun 17, 2024 / 10:52 am

Pravin Pandey

निर्जला एकादशी व्रत का नियम और इस दिन क्या करें और क्या न करें

एकादशी से एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है तैयारी

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इसके लिए विधि विधान से एकादशी व्रत रखना चाहिए। इसकी तैयारी एकादशी के दिन से एक दिन पहले मध्याह्नकाल से शुरू हो जाती है। इस समय से ही मन की पवित्रता पर ध्यान देना होता है और शाम को भोजन नहीं करते, ताकि अगले दिन पेट में भोजन के अंश शेष न रहें। एकादशी के दिन भक्त कठोर उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद नियमानुसार उपवास खोलते हैं।

इस व्रत को भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार कई प्रकार से रखते हैं, कुछ लोग एक समय फलाहार, कुछ लोग निर्जला, कुछ केवल फल, कुछ लोग सिर्फ जल तो कुछ क्षीर (दुग्ध सामग्री) ग्रहण करते हैं। हालांकि इसको व्रत शुरू करते समय संकल्प के दौरान ही तय कर लेना होता है। लेकिन एकादशी व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न और अनाज का सेवन वर्जित होता है। और यह नियम सभी 24 एकादशी में एक सा होता है। लेकिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी दूसरी एकादशियों से थोड़ी अलग है, इसे निर्जला ही रहना होता है। मान्यता है कि सिर्फ इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशी का फल मिल जाता है।

एकादशी व्रत में क्या न करें

  1. एकादशी व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष को दशमी वाले दिन मांस, प्याज और मसूर की दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। 2. एकादशी वाले दिन प्रातः पेड़ से तोड़ी हुई लकड़ी की दातुन नहीं करनी चाहिए। इसके स्थान पर नीबू, जामुन या आम के पत्तों को चबाकर मुंह शुद्ध कर लेना चाहिए और अंगुली से कंठ शुद्ध करना चाहिए।
  2. एकादशी के दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित है, इसलिए जरूरी हो तो वृक्ष से गिरे हुए पत्तों का ही उपयोग करें। पत्ते उपलब्ध न होने पर बारह बार शुद्ध जल से कुल्ले कर मुख शुद्धि करनी चाहिए।
  3. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगानी चाहिए वर्ना चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है और भगवान विष्णु को यह नापसंद होता है।
  4. एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिये और न ही अधिक बोलना चाहिए। क्योंकि अधिक बोलने से ऐसी बातें भी व्यक्ति बोल सकता है जो उसे नहीं बोलना चाहिए।
  5. फलाहार व्रत करने वाले को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए, वो आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन कर सकता है, जो भी फलाहार लें, भगवान को भोग लगाकर और तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणादि देकर प्रसन्न कर परिक्रमा लेनी चाहिए।
  6. किसी भी प्रकार क्रोध नहीं करना चाहिए। क्रोध चाण्डाल का रूप होता है, देव रूप बनकर संतोष कर लेना चाहिए।
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