नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना और मां दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिमालय पुत्री मां शैलपुत्री को संफेद रंग प्रिय है। साथ ही गाय के घी का बना भोग पसंद है। मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन गाय के घी से बना हुआ हलवा, रबड़ी और मावे का लड्डू भोग लगाने से मां प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग शक्कर और पंचामृत है। इस दिन मां को इन्हीं चीजों का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को दूध प्रिय है। इसलिए माता को दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां के इस स्वरूप को मालपुआ प्रिय है। मालपुआ मां कुष्मांडा को अर्पित करने से बाद इसे दूसरों को भी बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता है। चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन इनकी पूजा की जाती है। मां के इस स्वरूप को केला प्रिय है। इसलिए पांचवें दिन केले का भोग लगाना चाहिए। ये भी पढ़ेंः Surya Rashi Parivartan: 13 अप्रैल को मंगल की राशि में सूर्य का राशि परिवर्तन, जानें मेष से मीन तक किसे नफा किसे नुकसान
मां कात्यायनी मां दुर्गा का छठां स्वरूप है। ऋषि पुत्री मां कात्यायनी को मीठे पान, लौकी और शहद प्रिय है। इसलिए मां की पूजा के छठें दिन चैत्र नवरात्रि में इन्हीं का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। दुष्टों का विनाश करने वाली सबसे उग्र स्वरूप कालरात्रि को गुड़ बहुत प्रिय है। इसलिए चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि पूजा के सातवें दिन मां दुर्गा को गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए।
जगदंबा दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी हैं। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी को माता पार्वती भी कहा जाता है। मां महागौरी को नारियल बहुत प्रिय है। इसलिए अष्टमी के दिन मां को नारियल का गोला चढ़ाना चाहिए।
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धदात्री हैं। मां सिद्धदात्री भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियां देती हैं। नवरात्र के नौवे दिन इनकी पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। पूजन के बाद मां को चना और हलवा पूड़ी-खीर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही कन्याओं को यह भोग खिलाना चाहिए।