धर्म-कर्म

मोहिनी एकादशी 4 मई : इन कामों को करने से बचें, नहीं तो..

वैशाखी शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि श्रेष्ठ एकादशी मानी जाती है।

May 03, 2020 / 09:19 am

Shyam

मोहिनी एकादशी 4 मई : इन कामों को करने से बचें, नहीं तो..

सोमवार 4 मई को वैशाख मास की मोहिनी एकादशी तिथि है। इस वैशाखी एकादशी तिथि को श्रेष्ठ एकादशी मानी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन केवल व्रती ही नहीं हर किसी को नीचे दिए गए नियमों का पाल करना चाहिए। अगर इस दिन जो कोई व्रत रखकर विधिवत पूजन अर्चन करते हुए इन नियमों का पालन करता है तो भगवान नारायण उनकी सभी इच्छाएं पूरी कर देते हैं।

मोहिनी एकादशी तिथि के दिन इन कार्यों को करने से बचें-

1- जुआ खेलना- जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। ऐसे स्थान पर अनेक बुराइयां उत्पन्न होती है। इसलिए सिर्फ ग्यारस को ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।

2- रात में सोना- कहा जाता है कि एकादशी तिथि की रात को शयन नहीं चाहिए, पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति, मंत्र जप और भजन करना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर भजन करते हुए ही जागरण करना चाहिए, इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

मोहिनी एकादशी 4 मई : इन कामों को करने से बचें, नहीं तो..

3- पान खाना- एकादशी तिथि के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है, इस दिन पान खाने से व्यक्ति के मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।

4- दूसरों की बुराई से बचना- दूसरों की बुराई करना यानी की परनिंदा, ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं।

5- चुगली करना- चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।

मोहिनी एकादशी 4 मई : इन कामों को करने से बचें, नहीं तो..

6- चोरी करना- चोरी करना पाप कर्म माना गया है, चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए एकादशी तिथि को चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।

7- हिंसा करना- एकादशी के दिन हिंसा करना महापाप माना गया है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।

8- स्त्रीसंग- एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता । अतः ग्यारस के दिन स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।

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