धर्म-कर्म

Mithuna Sankranti 2023: लगातार दूसरे साल एक ही दिन मिथुन संक्रांति, ये है पूजा विधि और उपाय

ग्रहों के राजा सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं और ये जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस तिथि को उसी राशि के नाम की संक्रांति (Mithuna Sankranti 2023) के नाम से जाना जाता है, जैसे आने वाले 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इस तिथि को मिथुन संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा से सूर्य संबंधी दोष दूर होते हैं और जीवन में धन वैभव की प्राप्ति होती है। खास बात ये है कि लगातार दूसरे साल एक ही दिन मिथुन संक्रांति पड़ रही है तो आइये जानते हैं मिथुन संक्रांति के दिन पूजा विधि (Mithun Sankranti Puja Vidhi Aur Upay) और उसके उपाय..

Jun 12, 2023 / 11:51 am

Pravin Pandey

mithun sankranti 15 june 2023

मिथुन संक्रांति पर शुभ योग और पुण्यकाल (Mithun Sankranti Shubh Yoga)
मिथुन संक्रांति यानी रज संक्रांति 15 जून गुरुवार को शाम 6.29 बजे होगी। इसका पुण्यकाल और महापुण्यकाल दोनों शाम 6.29 से 7.20 तक होगा। खास बात यह है कि पिछले साल भी 15 जून को ही मिथुन संक्रांति पड़ी थी।

मिथुन संक्रांति के दिन सुकर्मा और धृति योग बन रहे हैं, दोनों योग बेहद शुभ माने जाते हैं और इन योगों में किए गए कार्य सफल होते हैं। मिथुन संक्रांति के दिन सुकर्मा योग शुरू होकर अगले दिन 16 जून को सुबह 2.03 बजे तक रहेगा। वहीं धृति योग 17 जून सुबह 1.23 बजे तक रहेगा। 15 जून को दोपहर 2.51 बजे से 3.45 बजे तक विजय मुहूर्त भी है।
ये भी पढ़ेंः 15 जून से अगले एक महीने चार राशियों पर भारी, नौकरी में आएगी कठिनाई


मिथुन संक्रांति का महत्व
हर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा और दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। मिथुन संक्रांति भी दान पुण्य के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य देव और विष्णुजी की पूजा का विधान है। यह तिथि प्रकृति के बदलाव का भी संकेत देती है।

इसी समय से आम तौर पर वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। कृतिका नक्षत्र से रोहिणी की ओर सूर्य देव के रूख करते ही बारिश की संभावना बढ़ने लगती है। इस दिन किसान सूर्य देव का व्रत रखकर रज पर्व मनाते हैं और अच्छी बारिश की प्रार्थना करते हैं ताकि खेती अच्छी हो। इसके अलावा मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है।

मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संपन्नता आती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है। भगवान सूर्य के आशीर्वाद से भक्त उच्च पद को प्राप्त करता है।
मिथुन संक्रांति का फल (Mithun Sankranti Fal)
1. मिथुन संक्रांति पशुओं के लिए अच्छी होगी।
2. वस्तुओं की लागत सामान्य होगी।
3. धन समृद्धि लाएगी और लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा।
4. मिथुन संक्रांति के प्रभाव से अनाज भंडारण में वृद्धि होगी और राष्ट्रों के बीच संबंध मधुर होंगे।
ये भी पढ़ेंः Neem Karoli Baba: कैसे बदलते गए बाबा नीम करोली के नाम, यहां जानिए बाबा का असली नाम

मिथुन संक्रांति पूजा विधि (Mithun Sankranti Puja Vidhi)
1. सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान के बाद तांबे के पात्र में सूर्य को अर्घ्य दें।
2. लाल फूल, चंदन, धूप, दीप अर्पित कर सूर्य देव के निमित्त अपने स्थान पर 7 बार परिक्रमा करें।
3. सूर्य देव की पूजा के बाद बचे जल को जमीन पर न गिरने दें, बल्कि पौधों को डाल दें।

4. मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में भी पूजा जाता है। इसके लिए सिलबट्टे को दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
5. चंदन, सिंदूर, फल और हल्दी चढ़ाया जाता है।
6. गुड़, चावल का आटा, नारियल, देसी घी से बनी मिठाई, पीठा बनाकर भूदेवी को अर्पित करें।

7. इस दिन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है।
8. इस दिन चावल नहीं खाया जाता और गरीबों ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। इस दिन हरे रंग की वस्तुओं का दान करें।

मिथुन संक्रांति उपाय (Mithun Sankranti Upay)
1. मिथुन संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन हरे वस्तु का दान सर्वोत्तम होता है। मान्यता है कि इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
2. मिथु संक्रांति के दिन बिना नमक खाए व्रत रखना चाहिए, इससे आपके जीवन की परेशानियां खत्म होंगी।
3. मिथुन संक्रांति के दिन पालक, मूंग और हरे वस्त्रों का दान शुभ फलदायक होता है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Mithuna Sankranti 2023: लगातार दूसरे साल एक ही दिन मिथुन संक्रांति, ये है पूजा विधि और उपाय

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.