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सभी श्राद्धों में परम श्रेष्ठ श्राद्ध होता हैं मातृ नवमी श्राद्ध, इसे करने वाले को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य एवं सौभाग्य सदैव मिलता हैं

सभी श्राद्धों में परम श्रेष्ठ श्राद्ध होता हैं मातृ नवमी श्राद्ध

Sep 28, 2018 / 11:25 am

Shyam

matra navami shraddh

सभी श्राद्धों में परम श्रेष्ठ श्राद्ध होता हैं मातृ नवमी श्राद्ध, इसे करने वाले को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य एवं सौभाग्य सदैव मिलता हैं

वैसे तो सभी पित्रों के श्राद्ध अनिवार्य माने गये लेकिन आश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को किया जाने वाले श्राद्ध को मातृ नवमी श्राद्ध कहा जाता हैं, नवमी तिथि का श्राद्ध पक्ष में बहुत ही महत्त्व मानते हुए इसे परम श्रेष्ठ श्राद्ध कहा जाता हैं । सनातन धर्म के अनुसार किसी भी पूर्वज की जिस तिथि में मृत्यु होती है, पतर पक्ष में उसी तिथि के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन नवमी तिथि को माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए परम श्रेष्ठ मानी जाती है, जिसे ‘मातृ नवमी’ भी कहते हैं । मातृ नवमी के दिन पुत्रवधूएँ अपनी स्वर्गवासी सास व माता के सम्मान एवं मर्यादा हेतु श्रद्धाजंलि देती हैं और धार्मिक कृत्य भी करती हैं ।

 

मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर पुत्रवधुएं विशेषकर उपवास रखती हैं, क्योंकि इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है । शास्त्रों के अनुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है । अगर इस दिन जरूरतमंद गरीबों को या सतपथ ब्राह्मणों को भोजन करने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं ।

 

इस प्रकार करें मातृ नवमी का श्राद्ध

 

1- सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होकर घर की दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं ।
2- सभी पूर्वज पित्रों के चित्र (फोटो) या प्रतिक रूप में एक सुपारी हरे वस्त्र पर स्थापित करें ।
3- पित्रों के निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं, सुघंधित धूप करें, जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण भी करें ।
4- परिवार की पितृ माताओं को विशेष श्राद्ध करें, एवं एक बड़ा दीपक आटे का बनाकार जलायें ।
5- पितरों की फोटो पर गोरोचन और तुलसी पत्र समर्पित करें ।


6- श्राद्धकर्ता कुशासन पर बैठकर भागवत गीता के नवें अध्याय का पाठ भी करें ।
7- गरीबों या ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री के साथ भोजन दें ।
8- भोजन के बाद सभी को यथाशक्ति वस्त्र, धन-दक्षिणा देकर उनको विदाई करें ।
9- पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध है और इसे संपन्‍न करने का शुभ समय कुटुप मुहूर्त और रोहिणा होता है । मुहूर्त के शुरु होने के बाद अपराह्रन काल के खत्‍म होने के मध्‍य किसी भी समय श्राद्ध क्रिया संपन्‍न किया जा सकता हैं । श्राद्ध के अंत में तर्पण भी किया जाता है ।

मातृ नवमी श्राद्ध का शुभ समय – 3 अक्टूबर 2018, सूर्योदय काल से दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त – 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 40 तक ।
रोहिणा मुहूर्त – 12 बजकर 40 मिनट से 1 बजकर 29 मिनट तक ।
अपराह्रन काल – 1 बजकर 29 मिनच से 3 बजकर 56 मिनट तक ।

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