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Margashirsha Month 2024: भगवान श्रीकृष्ण से इस माह का क्या संबंध, जानिए इसका महत्व

Margashirsha Month 2024: हिंदू धर्म में अगहन यानी मार्गशीर्ष महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इसे हिंदी का 9वां महीना माना जाता है।

जयपुरNov 15, 2024 / 05:04 pm

Sachin Kumar

मार्गशीर्ष के स्वामी श्री कृष्ण की ऐसे करें पूजा।

Margashirsha Month 2024: मार्गशीर्ष माह हिंदू पंचांग के अनुसार नौवां महीना होता है। जिसे अगहन मास कहा जाता है। यह महीना विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस माह की शुरुआत अग्रेजी महीनों के हिसाब से आमतौर पर नवंबर के अंत या दिसंबर के प्रारंभ में होती है। यह महीना चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। इसलिए इसकी तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 16 नवंबर से शुरू होकर 15 दिसंबर 2024 को समाप्त होगा। आइए जानते हैं अगहन मास का भगवान श्रीकृष्ण से संबंध और इसका महत्व।

मार्गशीर्ष से श्रीकृष्ण का संबंध (Margashirsha Se Shri Krishna ka Sambandha)

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना कहा गया है। क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय के विभूति योग में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है- “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” इसका मतलब है कि साल के सभी “महीनों में, मैं मार्गशीर्ष हूँ”। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप है। मार्गशीर्ष के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की अनेक स्वरूपों पूजा की जाती है।

मार्गशीर्ष का महत्व (Margashirsha Ka Mahtva)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह को भगवान कृष्ण ने विशेष महत्त्व प्रदान किया है। इस दौरान विधि पूर्वक किया गया व्रत और जप कई गुना अधिक फल दाई सवित होता है। इसके साथ ही अगहन माह में श्रीकृष्ण के उपदेशों का अध्ययन करना, भगवद्गीता का पाठ करना, और श्रीकृष्ण की उपासना करना अत्यंत फलदायी और ज्ञानवर्धक माना जाता है।

मार्गशीर्ष माह के प्रमुख त्योहार (Margashirsha Month Ke Tyohar)

इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं।
विवाह पंचमी- यह पर्व मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह उत्सव मनाया जाता है।

दत्तात्रेय जयंती- मार्गशीर्ष पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ और हवन का आयोजन किया जाता है।
एकादशी व्रत- इस अगहन माह में मोक्षदा एकादशी और उत्पन्ना एकादशी जैसे महत्वपूर्ण व्रत होते हैं। इन व्रतों का उपवास करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष पर्व पर श्रीकृष्ण पूजा (Margashirsha Parv Par Shri Krishna Puja)

मार्गशीर्ष माह में भक्त भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करते हैं। इस दौरान श्रीकृष्ण को तुलसी पत्र अर्पित करना, माखन-मिश्री का भोग लगाना और दीप जलाना पुण्यकारी माना जाता है। इसके साथ ही गायत्री मंत्र और विष्णु सहस्रनाम का जप करने से विशेष पुण्य फल प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष माह के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। जो आध्यात्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष माह न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसे विशेष स्थान दिया है। इसलिए इस माह में पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्त्व है। इस समय की गई भक्ति, तपस्या और साधना का फल अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
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