scriptभगवान को दी जाने वाली मंत्र पुष्पांजलि के पीछे छिपा अद्भूत रहस्य | mantra pushpanjali sloka in hindi | Patrika News
धर्म-कर्म

भगवान को दी जाने वाली मंत्र पुष्पांजलि के पीछे छिपा अद्भूत रहस्य

mantra pushpanjali sloka : वेद शास्त्रों में देवी-देवताओं को मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए अनेक मंत्र दिए गए है, लेकिन प्रचलन में कुल चार ही प्रमुख माने जाते हैं। जानें मंत्र पुष्पांजली से जुड़ा अद्भूत रहस्य।

Sep 18, 2019 / 03:31 pm

Shyam

भगवान को दी जाने वाली मंत्र पुष्पांजलि के पीछे छिपा अद्भूत रहस्य

भगवान को दी जाने वाली मंत्र पुष्पांजलि के पीछे छिपा अद्भूत रहस्य

हिंदू धर्म में आयोजित होने वाले सभी धार्मिक कर्मों जैसे- हवन, पूजन, आरती, ग्रहप्रवेश, विवाह कर्म या अन्य पूजन से संबंधित कार्यों में आवाहित देव शक्तियों को मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, मंत्र पुष्पांजलि के बाद ही धार्मिक पूजा के अनुष्ठान पूर्ण माने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंत्र पुष्पांजलि का वास्तविक भावार्थ है क्या। जानें मंत्र पुष्पांजली से जुड़ा अद्भूत रहस्य।

 

श्री रामचरित्र मानस हर दिन पढ़ते हैं, लेकिन रामायण के इस अद्भूत रहस्य को क्या आज तक आप जानते हैं?

वेद शास्त्रों में देवी-देवताओं को मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए अनेक मंत्र दिए गए है, लेकिन प्रचलन में कुल चार ही प्रमुख माने जाते हैं। मंत्र पुष्पांजलि में राष्ट्रीय एकात्म जीवन की आकांक्षा छिपी होने के कारण इसे एक राष्ट्रगीत और विश्वप्रार्थना के रूप में जाना जाता है। संपूर्ण विश्व के कल्याण की, आकांक्षा और सामर्थ्य की सबको पहचान करवाने वाली यह विश्वप्रार्थना है।

 

पितृपक्ष की सबसे खास तिथि, इस दिन ये उपाय करने से होती है हर इच्छा पूरी, दौड़ी आती है माँ लक्ष्मी

मंत्र पुष्पांजलि के विश्वप्रार्थना वाले दिव्य मंत्र

पहला मंत्र-

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:।।
इस मंत्र का भावार्थ- देवों ने यज्ञ के द्वारा यज्ञरुप प्रजापती का पूजन किया। यज्ञ और तत्सम उपासना के वे प्रारंभिक धर्मविधि थे। जहां पहले देवता निवास करते थे (स्वर्गलोक में) वह स्थान यज्ञाचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता (गौरव) प्राप्त करते हैं।

दुसरा मंत्र-

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने। नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं। कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय। महाराजाय नम: ।
इस मंत्र का भावार्थ- हमारे लिए सब कुछ अनुकुल करने वाले राजाधिराज वैश्रवण कुबेर को हम वंदन करते हैं। वो कामनेश्वर कुबेर मुझ कामनार्थी की सारी कामनाओं को पूरा करें।

 

मातृ नवमी का श्राद्ध करने से वाले की हर इच्छा हो जाती है पूरी

तीसरा मंत्र-

ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात्। पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति।।
इस मंत्र का भावार्थ- हमारा राज्य सर्व कल्याणकारी राज्य हो। हमारा राज्य सर्व उपभोग्य वस्तुओं से परिपूर्ण हो। यहां लोकराज्य हो। हमारा राज्य आसक्तिरहित, लोभरहित हो। ऐसे परमश्रेष्ठ महाराज्य पर हमारी अधिसत्ता हो। हमारा राज्य क्षितिज की सीमा तक सुरक्षित रहें। समुद्र तक फैली पृथ्वी पर हमारा दीर्घायु अखंड राज्य हो। हमारा राज्य सृष्टि के अंत तक सुरक्षित रहें।

चौथा मंत्र-

ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो। मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे। आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति।।
इस मंत्र का भावार्थ- राज्य के लिए और राज्य की कीर्ति गाने के लिए यह श्लोक गाया गया है। अविक्षित के पुत्र मरुती, जो राज्यसभा के सर्व सभासद है ऐसे मरुतगणों द्वारा परिवेष्टित किया गया यह राज्य हमें प्राप्त हो यहीं कामना।

**************

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / भगवान को दी जाने वाली मंत्र पुष्पांजलि के पीछे छिपा अद्भूत रहस्य

ट्रेंडिंग वीडियो