13 चमत्कारी रहस्य भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के
सुनने में बड़ा अजीब सा लगेगा की आखिर नाथों के नाथ जगतपति श्री जगन्नाथ को किससे डर लगता है, जो उन्होंने स्वयं राम भक्त महावीर हनुमान जी को अपनी रक्षा के लिए अपने मंदिर के द्वार पर रक्षा करने के लिए नियुक्त किया है। दक्षिण भारत में विश्व प्रसिद्ध पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां स्वयं भगवान श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा जी के साथ निवास करते हैं।
Jagannath rath Yatra : भगवान जगन्नाथ के साक्षात दर्शन
समुद्री तट पर स्थापित जगन्नाथ मंदिर
हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर स्थापित है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के ही प्रति स्वरूप है। भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी ही दूरी पर है। पहले यहां देश की समृद्ध बंदरगाहें थी, जहां जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अन्य कई देशों का इन्हीं बंदरगाह के रास्ते व्यापार होता था।
महावीर हनुमान जी है मंदिर के रक्षक
प्राचीन कथानुसार, समुद्र तट पर स्थित होने के कारण इस जगन्नाथ मंदिर को समुद्र ने 3 बार तोड़ दिया था, इतिहास में ऐसा उल्लेक मिलता है। कहा जाता है कि श्री हनुमान जी को जब भी भगवान जगन्नाथ जी, बलराम जी एवं देवी श्री सुभद्रा जी के दर्शनों की इच्छा होती थी तो वे प्रभु के दर्शनों के लिए पुरी नगर में प्रवेश कर जाते थे, ऐसे में समुद्र भी उनके पीछे पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था।
रथयात्रा : भक्त से मिलने स्वयं आते हैं इस मंदिर के भगवान
समुद्र के प्रवेश से श्री भगवान एवं पुरी नगर के वासियों को परेशानी होने लगती थी। महाबली हनुमान जी की इस आदत से परेशान होकर महाप्रभु जगन्नाथ जी ने श्री हनुमान जी को समुद्र के तट पर सोने की जंजीर (बेड़ी) से बांध दिया था, और समुद्र से शहरवासी और मंदिर की रक्षा करने का आदेश देकर वहीं स्थापित कर दिया। तभी से महाबली हनुमान जी को समुद्र तट पर भगवान द्वारा बांधा गया तब से समुद्र पुरी नगरी में कभी भी प्रवेश नहीं करता। आज भी जगन्नाथपुरी के समुद्र तट पर बेदी हनुमान का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है, जो भक्त भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने आते वे बेड़ी में जगड़े हनुमान जी के दर्शन करने जाते ही है।
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