कौन होते हैं नागा साधु
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागा साधु सन्यासी संप्रदाय से जुड़े होते हैं। ये अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं और निर्वस्त्र रहते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य भौतिक दुनिया और सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर ईश्वर की साधना करना होता है। नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत चुनौतीपूर्ण और तपस्या से भरी होती है।कैसे बनते हैं नागा साधु
नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को एक दीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें अखाड़ा समिति यह देखती है कि व्यक्ति नागा साधु की दीक्षा प्राप्त करने योग्य है या नहीं। चयन होने के बाद यह प्रक्रिया लगभग 12 सालों की होती है। दीक्षा के दौरान साधकों को अत्यंत कठोर तप और संयम का पालन करना पड़ता है। अंतिम चरण में उन्हें शाही स्नान के दौरान नागा साधुओं के अखाड़े में शामिल किया जाता है।शरीर पर क्यों नहीं धारण करते कपड़े
नागा साधु अपने शरीर पर वस्त्र इस लिए नहीं धारण करते हैं क्योंकि वह वस्त्रों को सांसारिक जीवन और आडंबर मानते हैं। उनके विचार से कपड़े भौतिकता का प्रतीक हैं। बड़ी बात यह है कि नागा साधु सोने के लिए बिस्तर का भी उपयोग नहीं करते हैं। इनसे दूरी बनाकर वे आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं का शाही स्नान देखने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग आते हैं। उनके साथ जुड़ी यह रहस्यमयी दुनिया भारत की प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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