बर्बरीक को शिव का वरदान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बर्बरीक महाभारत में एक अद्वितीय योद्धा था। वह अपने साहस और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि बर्बरीक को भगवान शिव से तीन अमोघ बाणों का वरदान प्राप्त था। इस लिए उसे तीन बाणधारी नाम से भी प्रसिद्ध था। बर्बरीक के इन बाणों में इतनी शक्ति थी कि वे पूरे युद्ध का परिणाम पल भर में बदल सकते थे।युद्ध में भाग लेने की इच्छा
धार्मिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि जब महाभारत के युद्ध की शुरुआत होने वाली थी, तो बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा प्रकट की। लेकिन उसने यह प्रण लिया कि रणभूमि में जिसकी हार होगी वह उसका साथ देगा। ऐसा माना जाता है कि बर्बरीक की इस प्रतिज्ञा से स्वयं भगावन श्रीकृष्ण चिंता में पड़ गए थे। क्योंकि बर्बरीक युद्ध में भाग लेता, तो उसकी यह प्रतिज्ञा युद्ध के संतुलन को बिगाड़ सकती थी। अगर युद्ध में कौरवों की हार होते देखता तो उनकी सहायता करता। इससे महाभारत का युद्ध में कौरवों की जीत हो सकती थी।श्रीकृष्ण ने मांग लिया था बर्बरीक का सिर
जब श्रीकृष्ण को बर्बरीक के प्रण ने चिंता में डाल दिया, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण के रूप में उनसे युद्ध कौशल दिखाने को कहा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की शक्तियों और पराक्रम को देखा तो वह चौंक गए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उचित रणनीति के तहत उनसे उनका सिर दान में मांग लिया। मान्यता है कि बर्बरीक अपनी बात का पक्का योद्धा था जो बोलता था उसको पूरा करता था। इस लिए उसने अपना सिर श्रीकृष्ण को दान कर दिया। लेकिन उसने श्रीकृष्ण से यह वरदान मांगा कि वह महाभारत का पूरा युद्ध देखना चाहता है। श्रीकृष्ण ने उसकी इस इच्छा को पूरी करने के लिए उसका सिर युद्ध के मैदान में एक पेड़ लटका दिया। जिसको अब खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।