धार्मिक महत्व
धार्मिक कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान वेदों और पुराणों में पवित्र भूमि के रूप में वर्णित है। मान्यता है कि यहाँ पर भगवान ब्रह्मा ने पवित्र यज्ञ किया था और कई अन्य ऋषियों ने तपस्थली भी रही है। इस क्षेत्र को धर्म और सत्य का प्रतीक माना जाता था। इसलिए यह स्थान धर्मयुद्ध के लिए उचित माना गया। यही वजह है कि महाभारत युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र चुना गया।
कुरु वंश से संबंध
मान्यता है कि कुरुक्षेत्र का संबंध कुरु वंश से था। जो पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। यह क्षेत्र उस दौरान कुरु वंश की राजधानी के पास स्थित था। दोनों पक्ष कुरु वंश के थे। यह स्थान तटस्थ और उनके साम्राज्य के मध्य में था।
राजनीतिक विचार
माना जाता है कि कुरुक्षेत्र किसी एक पक्ष की राजधानी नहीं थी। इसलिए इसे युद्ध के लिए सही क्षेत्र माना गया। क्योंकि इस पर किसी एक का अधिकार न होने की वजह से दोनों पक्षों ने इसे निष्पक्ष युद्धभूमि मानकर स्वीकार किया था।