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Maa Siddhidatri Mantra: ये हैं मां सिद्धिदात्री के मंत्र, पूजा से पूरी होती है हर मनोकामना

Maa Siddhidatri Mantra: नवरात्रि के नवें और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान रूद्र ने सृजन के उद्देश्य से आदि-पराशक्ति की आराधना की थी। मान्यताओं के अनुसार देवी आदि-पराशक्ति का कोई निश्चित रूप नहीं था। इधर भगवान रूद्र की पूजा से भगवान शिव के वाम अंग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं हैं। इनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइये जानते हैं इनको प्रसन्न करने के नवरात्रि में इन मंत्र, स्त्रोत, आरती का पाठ करना चाहिए..

Apr 16, 2024 / 08:28 pm

Pravin Pandey

Maa Siddhidatri Mantra: नवरात्रि के नवें और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान रूद्र ने सृजन के उद्देश्य से आदि-पराशक्ति की आराधना की थी।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप वर्णन

देवी सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं और सिंह की सवारी करती हैं। देवी मां को चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है। उनके एक दाहिने हाथ में गदा, दूसरे दाहिने हाथ में चक्र, एक बायें हाथ में कमल पुष्प और दूसरे बायें हाथ में शंख सुशोभित है। इनकी पूजा नवरात्रि के नवें दिन होती है। देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। अतः केतु ग्रह देवी सिद्धिदात्री द्वारा शासित होता है।

देवी सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं। भगवान शिव को भी देवी सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियां प्राप्त हुईं थीं। इनकी पूजा मात्र मनुष्य ही नहीं, देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्ध भी करते हैं। भगवान भोलेनाथ के वाम अंग से देवी सिद्धिदात्री के प्रकट होने के बाद ही भगवान शिव को अर्ध-नारीश्वर की उपाधि प्राप्त हुई थी। इन माता सिद्धिदात्री का प्रिय पुष्प रात की रानी है।

मां सिद्धिदात्री मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

मां सिद्धिदात्री प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

मां सिद्धिदात्री स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां सिद्धिदात्री ध्यान

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां सिद्धिदात्री स्तोत्र

कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥


विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

मां सिद्धिदात्री कवच

ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो॥

मां सिद्धिदात्री आरती

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा। महा नन्दा मन्दिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

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