पार्वती के विवाह से जड़ा है रहस्य
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कामदेव को भस्म करने की घटना भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि माता पार्वती भगवान शिव से अपना विवाह रचाना चाहती थीं, लेकिन महादेव अपनी तपस्या में लीन थे। जिसकी वजह से उनका ध्यान देवी पार्वती की ओर नहीं गया।
माता पार्वती की कामदेव ने की मदद
जब देवताओं ने देखा कि महादेव ने माता पार्वती की प्रर्थना को स्वीकार नहीं किया, तो उन्होंने कामदेव से प्रार्थना की कि वे भगवान शिव की तपस्या भंग करें। जिससे भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती की ओर आकर्षित हो और उनसे विवाह कर सकें। कामदेव ने देवताओं की मदद करने का निश्चय किया।
कामदेव ने चलाया था शिव पर पुष्प बाण
लेकिन माता पार्वती की भगवान शंकर के प्रति निष्ठा और अटूट प्रेम को देखकर कामदेव प्रकट हुए और उन्होंने तपस्या में लीन भगवान शिव पर पुष्प बाण चला दिया। इसके बाद शिव की तपस्या भंग हो गई। महादेव कामदेव की इस हरकरत से नाराज हो गए और अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। माना जाता है कि भगवान शिव के क्रोध की अग्नि से कामदेव का शरीर भस्म हो गया। इसलिए कामदेव को अनंग भी कहा जाता है। जिसका अर्थ शरीर रहित होता है।