हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, राहु काल में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। अर्थात राहु काल आज के दिन भगवान गणेश की घर में स्थापना नहीं करना चाहिए। अगर आप इस दौरान भगवान गणेश की घर में स्थापना करते हैं तो इसके बुरे परिणाम भूगतने पड़ेंगे। राहु काल ( प्रात: 7.35 से 9.10 तक) में पूजा नहीं करनी चाहिए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात को चन्द्र-दर्शन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि अनजाने में यदि कोई व्यक्ति चतुर्थी की रात में चंद्रमा को देख ले तो उसे झूठा-कलंक झेलना पड़ता है। इसीलिए इस दिन चन्द्रदेव को अर्घ्य देना चाहिए लेकिन उनकी ओर देखना नहीं चाहिए।
गणेश जी की स्थापना में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इनकी मूर्ति को पूर्व-उत्तर दिशा में बैठना शुभ होता है। भूलकर भी दक्षिण पश्चिम कोण पर इनकी स्थापना नहीं करनी चाहिए। पूजा घर पर भगवान गणेश जी की दो या उससे अधिक मूर्तियों को एक साथ नहीं रखना चाहिए। इससे अशुभ माना जाता है, क्योंकि दो मूर्तियों की ऊर्जा आपस में एक साथ टकराने से अशुभ फल मिलता है।
भगवान गणेश जी की मूर्ति का मुख दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। क्योंकि गणेश जी मुख की तरफ समृद्धि, सुख और सौभाग्य होता है। जबकि पीठ वाले हिस्से पर दुख और दरिद्रता का वास होता है।
पुराणों के अनुसार, गणेश जी की पीठ के दर्शन करना अशुभ फलदायी होता है। गणेश जी की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। मान्यता है कि इसके दर्शन करने से व्यक्ति का दुर्भाग्य आता है।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त तुलसी न चढ़ाएं। सफेद फूलों का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। गणेश जी का पूजन लाल फूल से करना चाहिए। गणेश जी उत्साह और ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं।