ऐसी मान्यता है कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार श्रद्धा पूर्वक माता महालक्ष्मीजी को उनकी विशेष प्रिय वस्तुएं अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं । वस्त्रों में प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है । पुष्पों में कमल व गुलाब प्रिय हैं । फलों में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं । सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र सबसे अधिक पसंद है । अनाजों में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है । गाय के घी का दीपक, मूंगफली या तिल्ली का तेल भी भेट करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती है । गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन बहुत प्रिय हैं ।
दिवाली महालक्ष्मी पूजा में आवश्यक पूजन साम्रगी
रोली, मोली, धूपबती, कपूर, चन्दन, चावल, यज्ञोपवीत, रुई, गुलाल, बुक्का सिंदूर, पान, सुपारी, खुले पुष्प, पुष्पमाला, दूर्वा इत्र, इलायची छोटी, लौंग, पेड़ा, ऋतुफल, दूध-दही, धृत, चीनी, शहद, पंच पल्लव, सर्वोषधि, गिरी का गोला, लक्ष्मी जी की मूर्ति, गणेश जी की मूर्ति, आसन के लिए चौकी, लक्ष्मी जी के वस्त्र, गणेशजी के वस्त्र, धान का लाजा, कलश तांबे या मिट्टी का, सफ़ेद एवं लाल कपडा आधा मीटर, गंगाजल । कलावा, नारियल, गुड़, पंचामृत, बताशे, शंख, थाली, चांदी का सिक्का आदि वस्तुएं पूजा के लिए पहले ही एकत्र कर तैयार कर लेना चाहिए । इन सभी सामग्रयों के साथ शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी का पूजन करने से शीघ्र चमत्कार दिखाई देने लगते हैं ।