दरअसल भगवान शिव के प्रिय सावन मास में आने वाला मां मंगला गौरी का यह व्रत सुख व सौभाग्य से जुड़ा माना जाता है। ऐसे में सावन के हर मंगलवार को सुहागिन महिलाएं इसके साथ ही संतान को सुखी जीवन की कामना करना है। इस दिन सम्पूर्ण शिव परिवार की आराधना का विधान है।
: फिर मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन- ‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्…।।’ मंत्र बोलते हुए करें।
माता की पूजा के बाद उन्हें (16 की संख्या में सभी वस्तुएं होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही 5 प्रकार के सूखे मेवे व 7 प्रकार के अनाज (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि भी चढ़ाएं।
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सावन मंगलवार के दिन की जाने वाली इस पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुनना अति आवश्यक माना जाता है, मान्यता के अनुसार इसे सुनने के बाद ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
ध्यान रहे इस व्रत में पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। जबकि एक ही समय समय अन्न ग्रहण किया जा सकता है। जानकारों के अनुसार माता पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने से महिलाओं को अखंड सुहाग के साथ ही पुत्र प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।