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धर्म-कर्म

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की संपूर्ण पूजा विधि, सभी 16 चरणों के सरल वैदिक मंत्रों के साथ

Krishna Janmashtami Puja: जन्माष्टमी पर भक्त भगवान श्रीकृष्ण की अपनी क्षमता के अनुसार कई तरह से पूजा करते हैं। वैसे तो भगवान सिर्फ भावना से ही पूजा स्वीकार कर लेते हैं लेकिन यदि सभी चरणों को अपनाते हुए भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं तो वो अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यहां सभी 16 चरणों वाली षोडशोपचार पूजा और उनके वैदिक मंत्र बताए जा रहे हैं।

भोपालAug 25, 2024 / 07:00 pm

Pravin Pandey

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की संपूर्ण पूजा विधि, सभी 16 चरणों के सरल वैदिक मंत्रों के साथ

Krishna Janmashtami Puja: जन्माष्टमी के दौरान की जाने वाली 16 चरणों वाली श्री कृष्ण पूजा, जिसे षोडशोपचार जन्माष्टमी पूजा विधि के रूप में जाना जाता है, उसे पूरा करने के लिए पूरा करें सभी चरण (ध्यान, आवाहन से क्षमा याचना तक) …

ध्यानम्


भगवान श्री कृष्ण का ध्यान पहले से अपने सम्मुख प्रतिष्ठित श्रीकृष्ण की नवीन प्रतिमा में करें।


ॐ तमद्भुतं बालकम् अम्बुजेक्षणम्, चतुर्भुज शंख गदायुधायुदम् ।
श्री वत्स लक्ष्मम् गल शोभि कौस्तुभं, पीतम्बरम् सान्द्र पयोद सौभगं ।।
महार्ह वैदूर्य किरीटकुन्डल त्विशा परिष्वक्त सहस्रकुन्डलम् ।
उद्धम कांचनगदा कङ्गणादिभिर् विरोचमानं वसुदेव ऐक्षत ।।
ध्यायेत् चतुर्भुजं कृष्णं, शंख चक्र गदाधरम्।
पीतम्बरधरं देवं माला कौस्तुभभूषितम् ।।
ॐ श्री कृष्णाय नमः। ध्यानात् ध्यानम् समर्पयामि ।।

आवाहनं


भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करने के बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ें और श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने आवाहन मुद्रा दिखाकर, उनका आवाहन करें।


ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा सुत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ।।
आगच्छ देवदेवेश तेजोराशे जगत्पते ।
क्रियमाणां मया पूजां गृहाण सुरसत्तमे ।।
आवाहयामि देव त्वां वसुदेव कुलोद्भवम् ।
प्रतिमायां सुवर्णादिनिर्मितायां यथाविधि ।।
कृष्णम् च बलबनं च वसुदेवं च देवकीम् ।
नन्दगोप यशोदाम् च सुभद्राम् तत्र पूजयेत् ।।
आत्मा देवानां भुवनस्य गभों यथावशं चरति देवेषः ।
घोषा इदस्य शण्विर न रूपं तस्मै वातायहविषा विधेम ।।
श्री क्लीं कृष्णाय नमः, सपरिवार सहित, श्री बालकृष्णं आवाहयामि ।।

आसनं

भगवान श्री कृष्ण का आवाहन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ कर उन्हें आसन के लिए पांच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने छोड़ें।


पुरुष एवेदगं सर्वम् यद्भुतं यच्छ भव्यम्।
उतामृतत्वस्येशानः यदन्नेनातिरोहति ।।
राजाधिराज राजेन्द्र बालकृष्ण महीपते।
रत्न सिंहासनं तुभ्यं दास्यामि स्वीकुरु प्रभो।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। आसनं समर्पयामि।।

पाद्य (चरण धोने के लिए जल)


भगवान श्री कृष्ण को आसन प्रदान करने के बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ते हुए पाद्य (चरण धोने के लिए जल) समर्पित करें।


एतावानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि।।
अच्युतानन्द गोविन्द प्रणतार्ति विनाशन।
पाहि मां पुन्डरीकाक्ष प्रसीद पुरुषोत्तम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पादोयो पाचम् समर्पयामि।।

अर्घ्य


पाद्य समर्पण के बाद भगवान श्री कृष्ण को अर्घ्य (सिर के अभिषेक के लिए जल) समर्पित करें।


त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवात्पुनः ।
ततो विश्वङ्ग्यक्रामत् साशनानशने अभि ।।
परिपूर्ण परानन्द नमो नमो कृष्णाय वेधसे।
गृहाणार्ध्वम् मया दत्तम् कृष्णा विष्णोर्जनार्दन ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। अर्घ्यम् समर्पयामि ।।

आचमनीयं (भगवान को जल अर्पित करें)


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए आचमन के लिए श्रीकृष्ण को जल समर्पित करें।


तस्माद्विराडजायत विराजो अधि पूरुषः।
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्ध‌मिमथो पुरः ।।
नमः सत्याय शुद्धाय नित्याय ज्ञान रूपिणे ।
गृहाणाचमनं कृष्ण सर्व लोकैक नायक ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। आचमनीयं समर्पयामि ।।
जन्माष्टमी पूजा

स्नानं


आचमन समर्पण के बाद ये मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को जल से स्नान कराएं।

यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धविः ।।
ब्रह्माण्डोदर मध्यस्थैस्तिथैश्च रघुनन्दन ।
स्नापयिश्याम्यहं भक्त्या त्वं गृहाण जनार्दना ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। मलापकर्श स्नानं समर्पयामि ।।

वस्त्र


स्नान कराने के बाद ये मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को मौली के रूप में वस्त्र समर्पित करें।


ॐ तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये।।
ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भुनोऽस्मि राष्ट्रस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
तप्त कान्चन संकाशं पीताम्बरम् इदं हरे।
सगृहाण जगन्नाथ बालकृष्ण नमोस्तुते।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। वस्त्रयुग्मं समर्पयामि ।।

यज्ञोपवीत (जनेऊ)


वस्त्र समर्पण के बाद ये मंत्र पढ़ें और श्रीकृष्ण को यज्ञोपवीत समर्पित करें।


तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः संभृतं पृषदाज्यम् ।
पशुगॅस्तागंश्चक्रे वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णदमे गृहात् ।।
श्री बालकृष्ण देवेश श्रीधरानन्त राघव ।
ब्रह्मसुत्रम्चोत्तरीयं गृहाण यदुनन्दन ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । यज्ञोपवीतम् समर्पयामि ।।

गंध (सुगंधित द्रव्य, इत्र चंदन आदि)


ये मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को सुगन्धित द्रव्य समर्पित करें।


तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः ऋचः सामानि जज्ञिरे।
छन्दांसि जज्ञिरे तस्मात् यजुस्तस्मादजायत ।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।।
कुम्कुमागरु कस्तूरि कर्पूरं चन्दनं तता।
तुभ्यं दास्यामि राजेन्द्र श्री कृष्णा स्वीकुरु प्रभो।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । गन्धम् समर्पयामि ।।

आभरणं हस्तभूषण


निम्नलिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण के श्रृंगार के लिए आभूषण समर्पित करें।


गृहाण नानाभरणानि कृष्णाय निर्मितानि ।
ललाट केठोत्तम कर्ण हस्त नितम्ब हस्तांगुलि भूषणानि ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। आभरणानि समर्पयामि ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। हस्तभूषणं समर्पयामि ।

नाना परिमल द्रव्य


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को विविध प्रकार के सुगन्धित द्रव्य समर्पित करें।


ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं जयाया हेतिं परिबाधमानः ।
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान्पुमान्पुमांसं परि पातु विश्वतः ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। नाना परिमल द्रव्यं समर्पयामि ।।

पुष्प


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को पुष्प, तुलसी माला समर्पित करें।


माल्यादीनि सुगन्धीनि, माल्यतादीनि वैप्रभो।
मया हितानि पूजार्थम्, पुष्पाणि प्रतिगृह्यताम् ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुष्पाणि समर्पयामि ।।

अंग पूजा


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए भगवन कृष्ण के अंग-देवताओं का पूजन करना चाहिए। इसके लिए बाएं हाथ में चावल, पुष्प और चंदन लेकर प्रत्येक मन्त्र का उच्चारण करते हुए दाहिने हाथ से श्री कृष्ण की मूर्ति के पास छोड़ें।

ॐ श्री कृष्णाय नमः। पादी पूजयामि ।।
ॐ राजीवलोचनाय नमः । गुल्फौ पूजयामि ।।
ॐ नरकान्तकाय नमः। जानुनी पूजयामि ।।
ॐ वाचस्पतये नमः। जंघै पूजयामि।।
ॐ विश्वरूपाय नमः । ऊरून् पूजयामि ।।
ॐ बलभद्रानुजाय नमः। गुहां पूजयामि।।

ॐ विश्वमूर्तये नमः। जघनं पूजयामि।।
ॐ गोपीजन प्रियाय नमः। कटिं पूजयामि ।।
ॐ परमात्मने नमः। उदरं पूजयामि।।
ॐ श्रीकण्टाय नमः। हृदयं पूजयामि।।
ॐ यज्ञिने नमः। पार्थी पूजयामि।।
ॐ त्रिविक्रमाय नमः । पृष्ठदेहं पूजयामि।।
ॐ पद्मनाभाय नमः । स्कन्धौ पूजयामि।।
ॐ सर्वास्त्रधारिणे नमः। बाहुन् पूजयामि।।
ॐ कमलानाथाय नमः । हस्तान् पूजयामि।।
ॐ वासुदेवाय नमः । कण्ठं पूजयामि ।।
ॐ सनातनाय नमः । वदनं पूजयामि ।।
ॐ वसुदेवात्मजाय नमः । नासिकां पूजयामि ।।
ॐ पुण्याय नमः । श्रोत्रे पूजयामि ।।
ॐ श्रीशाय नमः । नेत्राणि पूजयामि ।।
ॐ नन्दगोपप्रियाय नमः। भ्रवौ पूजयामि ।।
ॐ देवकीनन्दनाय नमः। भ्रूमध्यं पूजयामि ।।
ॐ शकटासुरमर्धनाय नमः । ललाटं पूजयामि ।।
ॐ श्री कृष्णाय नमः । शिरः पूजयामि ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः सर्वांगाणि पूजयामि ।।

धूपं


निम्न लिखित मन्त्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को धूप समर्पित करें।


वनस्पत्युद्भवो दिव्यो गन्धाढ्यो गन्धवुत्तमः ।
बालकृष्ण महिपालो धूपोयं प्रतिगृह्यताम् ।।
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् ।
मुखं किमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। धूपं आघ्रापयामि ।।
janmashtami puja

दीपं (सामने दीप जलाकर दिखाते हुए सामने रखना)

निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को दीप समर्पित करें।


साज्यं त्रिवर्ति सम्युक्तं वह्निना योजितुम् मया।
गृहाण मङ्गलं दीपं, त्रैलोक्य तिमिरापहम् ।।
भक्त्या दीपं प्रयश्चामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां नरकात् घोरात् दीपं ज्योतिर्नमोस्तुते ।।
ब्राह्मणोस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृतः ।
उरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । दीपं दूर्शयामि ।।

नैवेद्य (मिठाई, फल, प्रसाद)


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को नैवेद्य (माखन मिश्री, धनिया की पंजीरी, मिठाई आदि) समर्पित करें।

ॐ कृष्णाय विद्महे। बलभद्राय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः।
निर्वीषि करणार्थे तार्क्ष मुद्रा।
अमृती करणार्थे धेनु मुद्रा ।
पवित्री करणार्थे शङ्ख मुद्रा।
संरक्षणार्थे चक्र मुद्रा ।
विपुलमाय करणार्थे मेरु मुद्रा।
ॐ सत्यंतवर्तन परिषिंचामि ।
भोः ! स्वामिन् भोजनार्थं आगच्छादि विज्ञाप्य।
सौवर्णे स्थालिवैर्ये मणिगण खचिते गोघृतां ।
सुपक्कां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानपि सकलमहं
जोष्यम्न नीधाय नाना शाकैरूपेतं
समधु दधि घृतं क्षीर पानीय युक्तं तांबूलं चापि
श्री कृष्णं प्रतिदिवसमहं मनसा चिंतयामि ।।
अद्य तिष्ठति यत्किञ्चित् कल्पितश्चापरंग्रिहे
पक्वान्नं च पानीयं यथोपस्कर संयुतं
यथाकालं मनुष्यार्थे मोक्ष्यमानं शरीरिभिः
तत्सर्वं कृष्णपूजास्तु प्रयतां मे जनार्दन
सुधारसं सुविपुलं आपोषणमिदं
तव गृहाण कलशानीतं यथेष्टमुपभुज्यताम् ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः ।
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा। ॐ प्राणात्मने नारायणाय स्वाहा।
ॐ अपानात्मने वासुदेवाय स्वाहा। ॐ व्यानात्मने सङ्कर्षणाय स्वाहा।
ॐ उदानात्मने प्रद्युम्नाय स्वाहा। ॐ समानात्मने अनिरुद्धाय स्वाहा।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः।

नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्ति मे अचलां कुरुः ।
ईप्सितं मे वरं देहि इहत्र च परां गतिम् ।।
श्री कृष्ण नमस्तुभ्यम् महा नैवेद्यं उत्तमम् ।
संगृहाण सुरश्रेष्ठिन् भक्ति मुक्ति प्रदायकम् ।।
ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूर्यो अजायत ।
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत ।।
ॐ आद्राँ पुष्करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नैवेद्यं समर्पयामि ।।
सर्वत्र अमृतोपिधान्यमसि स्वाहा ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। उत्तरापोषणं समर्पयामि ।।

तांबूलं (पान सुपारी अर्पण)

निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को ताम्बूल (पान, सुपारी के साथ) समर्पित करें।


पूगीफलं सतांबूलं नागवल्लि दलैर्युतम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां कृष्ण येल लवंग सम्युक्तम् ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। पूगीफल ताम्बूलं समर्पयामि ।।

दक्षिणा

निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण जी को दक्षिणा समर्पित करें।
हिरण्य गर्भ गर्भस्थ हेमबीज विभावसोः।
अनन्त पुण्य फलदा अधः शान्तिं प्रयच्छ मे।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। सुवर्ण पुष्प दक्षिणां समर्पयामि।।

महानीराजन (आरती)


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को निराजन (आरती) समर्पित करें।

ॐ श्रिये जातः श्रिय अनिरियाय श्रियं वयो जरितृभ्यो ददाति
श्रियं वसाना अमृतत्वमायन् भवंति सत्य स मिथामितद्रौ
श्रिय एवैनं तत् श्रियामादधाति संततमृचा वषट्कृत्यं
संतत्यै संघीयते प्रजया पशुभिः य एवं वेद ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। महानीराजनं दीपं समर्पयामि।।

प्रद‌क्षिणा


अब निम्न मंत्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण की प्रदक्षिणा (बायीं से दायीं ओर की परिक्रमा) करें और फूल अर्पित करें..

ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्षम् शीष्णों द्यौः समवर्तत ।
पदभ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात् तथा लोकां अकल्पयन् ।।
आर्द्रां यःकरिणी यष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह्।।
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणे पदे पदे ।।
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम।
तस्मात् कारुण्य भावेन रक्ष रक्ष रमापते।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। प्रदक्षिणान् समर्पयामि।।

नमस्कार


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए भगवान श्रीकृष्ण को नमस्कार करें।


नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मणहिताय च।
जगदीशाय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ।।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः ।।
नमस्तुभ्यं जगन्नाथ देवकीतनय प्रभो
वसुदेवात्मजानन्द यशोदानन्दवर्धन
गोविन्द गोकुलादर गोपीकान्त नमोस्तुते
सप्तास्यासन् परिधयः त्रिस्सप्त समिधः कृताः ।
देवा यद्यज्ञं तन्वानाः अबवघ्नन्पुरुषं पशुम् ।।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।।
नमः सर्व हितार्थाय जगदाधार हेतवे।
साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः।
उरूसा शिरसा दृष्ट्वा मनसा वाचसा तथा।
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्याम् प्रणामोष्टांगं उच्यते ।।
शात्येनापि नमस्कारान् कुर्वतः शार्ङ्गपाणये।
शत जन्मार्चितम् पापम् तत्क्षणदेव नश्यति ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। नमस्कारान् समर्पयामि।।

क्षमापन (क्षमा मांगना)


निम्न लिखित मंत्र पढ़ते हुए पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीकृष्ण से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए..

अपराध सहस्राणि क्रियन्ते अहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व पुरुषोत्तम ।।
यान्तु देव गणाः सर्वे पूजां आदाय पार्थिवीम् ।
इष्ट काम्यार्थ सिद्ध्यर्थं पुनरागमनाय च ।।

।। श्री कृष्णार्पणमस्तु ।।

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