प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार खरमास में श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन जब तक तुलसी की पूजा नहीं होती, तब तक श्री हरि विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती, इसलिए इस समय तुलसी माता की भी पूजा करनी चाहिए। लेकिन खरमास में मंगलवार, रविवार और एकादशी को तुलसी को जल अर्पित न करें वर्ना माता लक्ष्मी रूठ सकती हैं। इन दिनों भूलकर भी तुलसी को न छूएं और उनको जल अर्पित न करें। मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी रूठ जाएंगी।
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मीन संक्रांति पर भगवान सत्यनारायण की षोडश पूजा करें। इसी के साथ ही तुलसी पूजा भी करें। तुलसी माता को जल अर्पण करें और उनकी पूजा करें। लेकिन ध्यान रहे कि मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को भूलकर भी न छूएं और न ही जल अर्पित करें।
मीन संक्रांति पर भगवान सत्यनारायण की षोडश पूजा करें। इसी के साथ ही तुलसी पूजा भी करें। तुलसी माता को जल अर्पण करें और उनकी पूजा करें। लेकिन ध्यान रहे कि मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को भूलकर भी न छूएं और न ही जल अर्पित करें।
खरमास के दिनों में भूलकर भी तुलसी के ऊपर सिंदूर या कोई पूजन सामग्री न चढ़ाएं। इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसी के साथ ही दूर्वा भी न चढ़ाएं इससे माता लक्ष्मी रूष्ठ होती हैं। खरमास में तुलसी को जल दान, दीपदान और धूपदान दे सकते हैं। बाकी अन्य किसी भी प्रकार की पूजा नहीं कर सकते हैं।