दरअसल, हिंदू धर्म में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में आने वाली 24 एकादशी को बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है।इन एकादशी व्रत को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। अगर आप एकादशी व्रत कर रहे हैं तो इन गलतियों को न करें वर्ना उसके पूरे फल से आप चूक सकते हैं। आइये जानते हैं कि पुत्रदा एकादशी को क्या नहीं करना चाहिए।
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इन चीजों का रखें ध्यान
1. इस व्रत में नमक, तेल, चावल और अन्न का किसी दशा में सेवन नहीं करना चाहिए।
2. मांस, मदिरा से दूर ही रहें।
3. मसूर की दाल और चने के शाक का भी सेवन न करें।
4. कोदों का शाक, शहद का भी सेवन न करें। वृक्ष से पत्ता न तोड़ें, गिरे हुए पत्ते का इस्तेमाल करें।
5. दूसरे का अन्न ग्रहण न करें।
इन चीजों का रखें ध्यान
1. इस व्रत में नमक, तेल, चावल और अन्न का किसी दशा में सेवन नहीं करना चाहिए।
2. मांस, मदिरा से दूर ही रहें।
3. मसूर की दाल और चने के शाक का भी सेवन न करें।
4. कोदों का शाक, शहद का भी सेवन न करें। वृक्ष से पत्ता न तोड़ें, गिरे हुए पत्ते का इस्तेमाल करें।
5. दूसरे का अन्न ग्रहण न करें।
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6. निराहार व्रत रहना संभव नहीं है तो एक बार भोजन करें, इस उपवास में दूसरी बार भोजन न करें।
7. स्त्री प्रसंग से दूर रहें, व्रत वाले दिन जुआ न खेलें।
8. इस दिन पान, लकड़ी का दातुन, चुगली, दूसरों की निंदा, पापी मनुष्यों से बात से दूर रहना चाहिए।
9. क्रोध करने, झूठ बोलने से दूर रहना चाहिए।
10. कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
11. व्रत के पारण से पहले पूजा कर एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
6. निराहार व्रत रहना संभव नहीं है तो एक बार भोजन करें, इस उपवास में दूसरी बार भोजन न करें।
7. स्त्री प्रसंग से दूर रहें, व्रत वाले दिन जुआ न खेलें।
8. इस दिन पान, लकड़ी का दातुन, चुगली, दूसरों की निंदा, पापी मनुष्यों से बात से दूर रहना चाहिए।
9. क्रोध करने, झूठ बोलने से दूर रहना चाहिए।
10. कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
11. व्रत के पारण से पहले पूजा कर एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
ये भी पढ़ेंः 2023 में इन राशियों पर शनि की साढ़े साती, ये हैं दुष्प्रभाव कम करने के उपाय एकादशी के भोजन में यह शामिल कर सकते हैं : पुरोहितों का कहना है कि एकादशी व्रत में एक बार भोजन करने वाले लोग शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, कालीमिर्च, सेंधानमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी का महात्म्यः भगवान श्रीकृष्ण ने इस एकादशी की महिमा युधिष्ठिर को बताई थी। उन्होंने कहा था इस एकादशी व्रत के समान पुण्यदायी व्रत दूसरा नहीं है। इससे संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती ही है। नियम से यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतानवान लोग पुत्र और अपनी संतान को कष्ट से बचाने की आकांक्षा से भी यह व्रत रखते हैं।