कड़वी आवाज निकालने वाले काले कौए के संबंध में शास्त्रों में बहुत ही विचित्र बाते बताई गई है, कौए अगर घर की छत पर चिल्लायें तो ऐसा माना जाता है कि, किसी मेहमान के आगमन का सूचना होती हैं, साथ कौए को पितरो का आश्रम स्थल माना जाता है । धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार कौए ने देवताओं और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था, यही कारण है की कौए की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती ।
कौए कभी किसी बिमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता, इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से होती है । यह बहुत ही रोचक है की, जिस दिन कौए की मृत्यु होती है उस दिन, उसका साथी भोजन ग्रहण नहीं करता । ये आपने कभी ख्याल किया हो तो यह बात गौर देने वाली है की, कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता । यह पक्षी सदैव किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है । कौए मैं नर और मादा दोनों एक समान ही दिखाई देते है । यह बगैर थके मिलो उड़ सकता है, कौए के बारे में पुराण में बतलाया गया है की, भविष्य में होने वाली अनेक घटनाओं का आभास कौए को पूर्व ही हो जाता है, और वह अपनी आवाज या अन्य तरीके उसका संकेत भी पहले ही दे देता हैं ।
श्राद्ध पक्ष में कौए का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है, अगर पितृ पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौए को भोजन कराता है तो यह भोजन कौए के माध्यम से उसके पीतरों को प्राप्त होता है और वे ग्रहण करते है । शास्त्रों में यह बात स्पष्ट बतलाई गई है की, कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है । पितृ पक्ष के 16 दिन कौए हर घर की छत का मेहमान बनता है, कहा जाता है कि पितरों की दिव्य आत्माएं कौए के रूप में आकर श्राद्ध का भोजन ग्रहण करती हैं । कौए एवं पीपल को पित्रों के प्रतीक माने जाते है । इसलिए पितर पक्ष में कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है ।
शुभ संकेत भी देते हैं कौए
1- यदि किसी के घर की पश्चिम दिशा के मुंडेर पर कोई कौआ जोर जोर से बोले तो मेहमान अवश्य आते है ।
2- यदि कौआ घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझे जल्द ही मां लक्ष्मी की कृपा होने वाली होती है ।
3- पूर्व में बोले तो अनेक शुभ समाचार मिलने वाले होते हैं ।
4- अगर दक्षिण दिशा से बोले तो कोई अशुभ बुरा समाचार मिलने वाला होता है ।
4- यदि कोई शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते है तो कौए को भोजन जरूर करावें ।
5- कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट नहीं होता एवं शत्रुओं का नाश भी हो जाता है ।