कामिका एकादशी तिथि की शुरुआत 12 जुलाई बुधवार को रात 9.29 बजे से हो रही है और यह तिथि 13 जुलाई को गुरुवार को रात 9.54 बजे संपन्न होगी। इसलिए उदयातिथि में यह व्रत बृहस्पतिवार को होगा। इस व्रत का पारण करने का समय 14 जुलाई सुबह 05:02 बजे से 07:53 बजे तक है।
कामिका एकादशी का महत्व
कामिका एकादशी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था। इस व्रत में कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन शंक, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा से गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है। सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, वह पुण्यफल कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मिल जाता है। नारदजी को भीष्म पितामह ने बताया था कि श्रावण माह में भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा से समुद्र, पृथ्वी और वन दान करने से भी अधिक फल प्राप्त होता है।
कामिका एकादशी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था। इस व्रत में कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन शंक, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा से गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है। सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, वह पुण्यफल कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मिल जाता है। नारदजी को भीष्म पितामह ने बताया था कि श्रावण माह में भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा से समुद्र, पृथ्वी और वन दान करने से भी अधिक फल प्राप्त होता है।
व्यतिपात में गंडकी नदी में स्नान से जो फल प्राप्त होता है, वह फल इस व्रत में भगवान की पूजा से मिल जाता है। पितामह भीष्म ने नारदजी को बताया कि संसार में भगवान की पूजा का फल सबसे ज्यादा है, लेकिन जिससे नियमित भक्तिपूर्वक भगवान की पूजा न बन सके तो उसे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए। इससे आभूषणों से युक्त बछड़ा सहित गौदान करने से जो फल प्राप्त होता है, वह मिल जाता है। वहीं जो व्यक्ति कामिका एकादशी का उपवास और भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उनसे सभी देव, नाग, किन्नर, पितृ आदि की पूजा हो जाती है। यह एकादशी संसार सागर तथा पापों में फंसे मनुष्यों को मुक्ति दिलाने वाली है।
चित्रगुप्त भी असमर्थ होते हैं पुण्य फल लिखने में
संसार में इससे अधिक पापों को नष्ट करने वाला कोई और उपाय नहीं है। यह अध्यात्म विद्या से भी अधिक फलदायी है और इस उपवास के करने से मनुष्य को न यमराज के दर्शन होते हैं और न ही नरक के कष्ट भोगने पड़ते हैं। जो मनुष्य इस दिन तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे इस संसार सागर में रहते हुए भी उसी तरह से इससे अलग रहते हैं, जिस प्रकार कमल पुष्प जल में रहता हुआ भी जल से अलग रहता है। इस दिन जो मनुष्य तुलसीजी को भक्तिपूर्वक भगवान के श्रीचरण-कमलों में अर्पित करता है, उसे मुक्ति मिलती है और इस दिन रात को जो मनुष्य जागरण करते हैं और दीप-दान करते हैं, उनके पुण्यों को लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं।
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कामिका एकादशी पूजा विधिः कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि दूसरी एकादशी के ही समान है। प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय बताते हैं कि कामिका एकादशी व्रत इस तरह रखना चाहिए।
कामिका एकादशी पूजा विधिः कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि दूसरी एकादशी के ही समान है। प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय बताते हैं कि कामिका एकादशी व्रत इस तरह रखना चाहिए।
1. कामिका एकादशी व्रत की तैयारी दशमी से ही शुरू कर देना चाहिए, और दशमी शाम से ही सात्विक आहार, ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन शुरू कर देना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। संभव हो तो पीला कपड़ा पहनें और पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें। इसके बाद कामिका एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु पूजा का संकल्प लें।
2. इसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें, धातु की मूर्ति हो तो गंगाजल से स्नान कराएं वर्ना हल्का गंगाजल छिड़क दें, फिर उनको पीले फूल, चंदन, पीले वस्त्र, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, अक्षत, धूप, दीप, गंध, पान का पत्ता, सुपारी, केला, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं। इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। भगवान शिव की भी पूजा करें।
3. इसके बाद आप विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, फिर कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। इसके बाद भगवान विष्णु की घी के दीये से आरती उतारें।
4. भगवान की पूजा के बाद प्रसाद बांटें और किसी गरीब ब्राह्मण को दान, दक्षिणा आदि दें।
5. दिनभर फलाहार करें और अपना समय भगवान के भजन में बिताएं। शाम को संध्या आरती करें और रात में भगवान का ध्यान-कीरत्न करते हुए जागरण करें।
6. अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा पाठ करें और सूर्योदय के बाद भोजन करके व्रत का पारण करें।
कामिका एकादशी पूजा मंत्र
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: