प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है, इस दिन शिव जी के अंश कालभैरव की पूजा की जाती है जो भगवान शंकर के अंश अवतार माने जाते है । इस कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन विशेष रूप से आद्यशक्ति मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने का भी विधान हैं । खासकर इस दिन कालभैरव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख, शांति व समृद्धि बनी रहती हैं ।
कालाष्टमी के दिन ऐसे करें पूजा एवं व्रत
नारद पुराण में कहा गया है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करने वाले के जीवन के सभी कष्ट दूर होकर हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं । अगर इस रात को देवी महाकाली की विधिवत पूजा व मंत्रो का जप अर्ध रात्रि में करना चाहिए । पूजा करने से पूर्व रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा पढ़ना या सुनना चाहिए । इस दिन व्रती को फलाहार ही करना चाहिए एवं कालभैरव की सवारी कुत्ते को कहा जात है इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन जरूर करना चाहिए ।
इस मंत्र का जप करना चाहिए-
शिव पुराण में दिये इस मंत्र का जप करने से हर मनोकामना हो जाती हैं पूरी
।। ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम् ।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि ।।