मार्गशीर्ष कालाष्टमी (Margashirsha Month Kalashtami 2024)
हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान काल भैरव की उपासना की जाती है। लेकिन इसमें सबसे प्रमुख है मार्गशीर्ष की कालाष्टमी। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने खुद से भैरव को प्रकट किया था। इसी कारण इस दिन भैरव जयंती भी मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य आदि करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। आइये जानते हैं कब है मार्गशीर्ष कालाष्टमी, इस व्रत का महत्व और पूजा विधि क्या है.. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शक्तिपीठों की सुरक्षा के लिए भगवान शिव की ओर से उत्पन्न किए गए उनके अंश को बाबा काल भैरव के नाम से जाना जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।
यह भी पढ़ेः कब है वृश्चिक संक्रांति 16 या 17 नवंबर, जानें स्नान दान का शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करें शास्त्रों के अनुसार, कालाष्टमी व्रत के दिन साधक को किसी भी व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए अन्यथा पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। साथ ही तामसिक भोजन और मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से काल भैरव की उपासना करता है, उसे रोग-दोष और अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
कब है कालाष्टमी का व्रत (Kab Hai Kalashtami Vrat)
कालाष्टमी का व्रत मार्गशीष कृष्ण अष्टमी 22 नवम्बर शुक्रवार 2024 को शाम 6 बजकर 7 मिनट से प्रारंभ हो रही है। जिसका समापन अगले दिन 23 नवम्बर शनिवार को शाम 7 बजकर 56 मिनट पर होगा। इसलिए कालाष्टमी और भैरव जयंती 22 नवंबर को मनाई जाएगी। यह भी पढ़ेः दुकान के 6 सरल वास्तु टिप्स आपके बिजनेस को दे सकते हैं नई ऊंचाई
2. इसके बाद घर की साफ-सफाई करें।
3. स्नान आदि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें, सूर्य नारायण को अर्घ्य दें।
4. गंगाजल से पूरे घर में छिड़काव करें।
5. मंदिर में चौकी रखें। इसके साथ ही चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाए, उस पर भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित करें।
6. भगवान को फल, मिठाई का भोग लगाएं ।
7. भगवान की आरती करें और व्रत का संकल्प लें।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि (Kalashtami Vrat Kii Puja Vidhi)
1. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।2. इसके बाद घर की साफ-सफाई करें।
3. स्नान आदि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें, सूर्य नारायण को अर्घ्य दें।
4. गंगाजल से पूरे घर में छिड़काव करें।
5. मंदिर में चौकी रखें। इसके साथ ही चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाए, उस पर भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित करें।
6. भगवान को फल, मिठाई का भोग लगाएं ।
7. भगवान की आरती करें और व्रत का संकल्प लें।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।