मार्कण्डेय ऋषि को भगवान श्रीकृष्ण ने बरगद के पत्ते पर ही दर्शन दिए थे। मान्यता है कि वट वृक्ष को जल देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और विवाह की बाधाएं दूर होती हैं और वट वृक्ष के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है। यह भी मान्यता है कि कोई लंबे समय से बीमार रह रहा है तो उसे अपने तकिए के नीचे बरगद की जड़ रखकर सोना चाहिए। घर में मंदिर के पास बरगद के पेड़ की टहनी रखने से परिवार में सकारात्मक माहौल बना रहता है।
ये भी पढ़ेंः Jyeshtha Purnima Date: ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को या 22 जून को, जानें कब करें वट पूर्णिमा व्रत और कब स्नान-दान, किस दिन कौन से योग
पीपल के पेड़ की पूजा
आप किसी भी आश्रम और धार्मिक स्थान पर पीपल का पेड़ जरूर देखें होंगे, इसका विशेष महत्व है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी, देवताओं, पितरों और तीर्थों का निवास होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल की परिक्रमा कर जल और मिठाई चढ़ाने से मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है। इससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि मिलती है, आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है, घर में शांति बनी रहती है। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने और धूप-दीप से आरती करने से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलत है। इससे जीवन में खुशहाली आती है, धन, वैभव और सफलता मिलती है। इसकी पूजा से पाप नष्ट हो जाता है, पूर्णिमा-अमावस्या पर जल देना पितरों का भी आशीर्वाद दिलाता है। इस दिन पीपल के पौधे लगाने और पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।
ये भी पढ़ेंः Vat Savitri Vrat Katha: वट सावित्री व्रत कथा पढ़ने से मिलता है अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और संतान का वरदान