हिंदू पंचांग के अनुसार 29 अगस्त, रविवार को Janmashtami 11.25 PM बजे से भाद्रपद कृष्ण अष्टमी Krishna Ashtami तिथि शुरू होगी जो 30 अगस्त को देर रात 1.59 मिनट तक रहेगी। वहीं इस बार यानि 2021 में श्रीकृष्ण Janmashtami में पूजन का समय 30 अगस्त को रात 11.59 मिनट से देर रात 12.44 मिनट तक रहेगा यानि कुल अवधि 45 मिनट होगी।
धर्म के जानकारों के अनुसार यूं तो साल भर श्री कृष्ण का जाप भक्तों को विशेष फल तो प्रदान करता ही है, लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के 108 नामों का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर भक्तों के जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर करने के साथ ही उनके जीवन को निराशा से मुक्ति प्रदान करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि सौभाग्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति, पराक्रम और अपार वैभव के लिए भगवान श्रीकृष्ण के नामों का जाप किया जाता है।
आइये जानें भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम:-
1. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
2. अचला : भगवान।
3. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
4. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु।
5. आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
6. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
7. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
8. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
9. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
10. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
11. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
12. आनंद सागर : कृपा करने वाले।
13. अनंता : अंतहीन देव।
14. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले।
15. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो।
16. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके।
17. अपराजित : जिन्हें न हराया जा सके।
18. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
19. बलि : सर्वशक्तिमान।
20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु।
21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
22. दयालु : करुणा के भंडार।
23. दयानिधि : सब पर दया बरसाने वाले।
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24. देवाधिदेव : देवों के देव।
25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर।
27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी।
28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
29. गोपाल : ग्वालों के बीच खेलने वाले।
30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय।
31. गोविंदा : गाय, भूमि,प्रकृति को चाहने वाले।
32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान।
33. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी
34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता।
36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा : सभी के रक्षक।
38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
39. जनार्धना : वरदान सभी को देने वाले।
40. जयंतह : सभी शत्रुओं को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या : सूर्य की चमक वाले।
42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44. कामसांतक : कंस का अंत करने वाले।
45. कंजलोचन : कमल के समान नेत्र वाले।
46. केशव : लंबे, काले सुंदर बालों वाले।
47. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन : प्रेम के प्रतीक।
51. माधव : ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन : मधु-दानवों का अंत करने वाले।
53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
54. मनमोहन : सबका मन मोहने वाले।
55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन : सब को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन : सबको शरण देने वाले।
63. निरंजन : सर्वोत्तम।
64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66. पद्मनाभ : कमल के आकार की नाभि वाले।
67. परब्रह्मन : परमसत्य।
68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले।
77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन : जो अनंत हो यानि जिसका भी अंत न हो।
80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक : सब का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह : शांत भाव वाले।
86. श्रेष्ठ : महान।
87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन : रूपवान।
91. सुमेध : सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह : बिना आकार वाले।
98. वासुदेव : हर जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड के लिए रूप धारण करने वाले।
104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
107. योगि : प्रमुख गुरु।
108. हरि : प्रकृति के देवता।