कोयम्बत्तूर .जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा है कि संसार में आंखों से जितने पदार्थ दिखाई देते हैं। उससे भी कई गुणा पदार्थ अदृश्यमान हैं।जितनाआंख से दिखाई देता है। अथवा जैसा दिखाई देता है। वह भी एकदम सत्य नहीं होता। रेल की पटरी के मध्य खड़े हो कर देंखे तो हमें भ्रांति होगी कि दोनों मिल रही है। दौड़ती हुई ट्रेन की खिड़की से हम देंखे तो पेड़, बिजली के खम्भे भी दौड़ते नजर आते हैं। जबकि ये सब स्थिर होते हैं।
जैनाचार्य बुधवार को
Coimbatore राजस्थान संघ भवन में चातुर्मास के तहत धर्मसभा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्वत पर खड़े हो कर हम नीचे झांकते हैं तो लोग हमें बौने नजर आते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। पंखा तेजी से घूम रहा हो तो तब उसमें तीन या चार पंखुडिय़ों की बजाय एक ही पंखुड़ी नजर आती है।वृक्ष का मूल होने के बाद भी हमें दिखाई नहीं देता।हवा का अस्तित्व होने के बाद भी हम उसे देख नहीं पाते। इससे स्पष्ट है कि दुनिया में जितने विद्यमान पदार्थ हैं ।उन सबको हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते।ऐसे अदृश्यमान पदार्थों को स्वीकारें बिना जीवन नहीं चल पाता। जिसने अपने पिता या दादा को नहीं देखा वह अन्य के विश्वास के आधार पर अपने पिता -दादा के अस्तित्व को स्वीकार करता ही है।
उन्होंनेे कहा कि श्रद्धा और विश्वास के बिना जगत का व्यवहार भी नहीं चल सकता।आत्मा-परमात्मा परलोक, पुण्य पाप, कर्म , निर्जरा ,बंध देवलोक, नरकगति आदि ऐसे अनेक पदार्थ हैं, जिन्हें हम आंखों से नहीं जान सकते।इसलिए जो व्यक्ति अतिन्द्रिय पदार्थों के ज्ञाता है। उन्ही के वचन पर विश्वास करना पड़ता है। इस प्रकार पूर्णज्ञानी के वचन पर विश्वास कर अतिन्द्रिय पदार्थों की स्पष्ट व सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सभा के अंत में बताया गया कि प्रतिदिन सुबह सवा नौ बजे प्रेरक प्रवचन होंगे।१० और ११ अगस्त को बहुफणा पाश्र्वनाथ जिनालय में प्रवचन और ११ अगस्त को क्षत्रियकुंड तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन होगा।
Hindi News / Coimbatore / श्रद्धा और विश्वास से चलता है जीवन