यहां भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर मालवा देश के राजा इन्द्रद्युम्न ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद उस दारु ब्रह्म/ श्रीकृष्ण के हृदय से भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा, सुदर्शन चक्र का निर्माण कराया गया। इन मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर में स्थापित किया गया। इसके बाद तब से लेकर आज तक उनकी पूजा की जाती है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर के अनोखे तथ्य (Jagannath Puri Mandir unique facts)
- मंदिर के शीर्ष पर पतित पावन ध्वज वायु की विपरीत दिशा में लहराता है। हालांकि कई बार वायु की दिशा में भी लहराता है।
- पतित पावन ध्वज जिस नील चक्र पर स्थापित है उसे किसी भी दिशा से देखने पर आपकी ओर मुख किए हुए ही प्रतीत होता है।
- मंदिर के शीर्ष की परछाई दिन के किसी भी समय पर भूमि पर नहीं पड़ती है।
- मंदिर के शीर्ष पर स्थित ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है, मान्यता है कि ऐसा न करने पर मंदिर 18 वर्षों तक बंद हो जाएगा।
- मंदिर के ऊपर कोई भी पंछी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता है और भारत सरकार द्वारा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई भी हवाईजहाज उड़ने की भी पूर्णतया पाबंदी है।
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जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के नियमः जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए कुछ नियम (Jagannath Mandir Niyam) है, इसे जानना जरूरी है।
जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के नियमः जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए कुछ नियम (Jagannath Mandir Niyam) है, इसे जानना जरूरी है।