इसलिए भगवान जगन्नाथ की आंखें होती हैं बड़ी (Jagannathji Eyes)
अक्सर कई भक्त लोगों से सवाल पूछते हैं कि भगवान जगन्नाथ की आखें बड़ी क्यों होती हैं। इस सवाल का जवाब भगवान श्रीकृष्ण और माता रोहिणी की कथा से जुड़ा है। किंवदंतियों के अनुसार जब माता रोहिणी द्वारकावासियों को श्रीकृष्ण की रासलीला की कहानियां सुना रही थीं तो शर्म के मारे कृष्ण जी की आंखें बड़ी-बड़ी हो गईं। इसी कारण इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की आंखें बड़ी-बड़ी हैं। ये भी पढ़ेंः Jagannath Puri: इस मंदिर में बेड़ी में बांधे गए हैं हनुमानजी, जानें पूरी रहस्यमयी कहानी
जगन्नाथ मंदिर का झंडा भी महत्वपूर्ण है, यह झंडा हमेशा वायु की विपरीत दिशा में लहराता रहता है। साथ ही इसे हर दिन बदला जाना जरूरी है वर्ना मंदिर 18 वर्षों तक के लिए बंद हो जाएगा।
झंडा नहीं बदला तो 18 साल के लिए बंद हो जाएगा जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Ji Flag)
जगन्नाथ मंदिर का झंडा भी महत्वपूर्ण है, यह झंडा हमेशा वायु की विपरीत दिशा में लहराता रहता है। साथ ही इसे हर दिन बदला जाना जरूरी है वर्ना मंदिर 18 वर्षों तक के लिए बंद हो जाएगा।हनुमानजी करते हैं रक्षा
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी किंवदंती के अनुसार समुद्र से भगवान के इस मंदिर की रक्षा हनुमानजी करते हैं। मान्यता है कि प्राचीनकाल में जब जगन्नाथ मंदिर बना तो भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी को मंदिर की रक्षा के लिए समुद्र किनारे नियुक्त कर दिया। हालांकि वे अक्सर दर्शन करने के लिए नगर में आ जाते थे, इस पर श्रीकृष्णजी ने उन्हें समुद्र किनारे बेड़ी से बांध दिया। यहीं बेड़ी हनुमान मंदिर है।जगन्नाथ मंदिर में भगवान का दिल (shri krishna heart in jagannath temple)
द्वापर युग की कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने मानवीय स्वरूप के कर्तव्य पूरे कर लिए तब उन्होंने अपनी देह त्यागने का निश्चय किया। इसके बाद जंगल में बहेलिये ने उनके एड़ी में तीर मार दिया, भगवान ने बहेलिये से अंतिम संस्कार के लिए अर्जुन को अंतिम संस्कार का मैसेज भेजा। बाद में उनका हृदय कई दिनों तक जलता रहा और अर्जुन ने उनका हृदय लकड़ियों समेत समुद्र में बहा दिया। यह दिल कई वर्षों तक समुद्र में तैरता रहा और अंत में पुरी के समुद्र तट पर पहुंचा। वहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न के जरिये मालवा देश के राजा इन्द्रद्युम्न को जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराने का निर्देश दिया। इसके बाद उस दारू ब्रह्म/ श्रीकृष्ण के हृदय से चार मूर्तियों का निर्माण कराया गया जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन चक्र की थी। इन मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर में स्थापित किया गया और तब से लेकर आज तक उनकी पूजा की जाती है।