रामायण के अनुसार, कैकई देश में सत्यकेतु नामक राजा था। वह धर्म नीति पर चलने वाला तेजस्वी, प्रतापी और बलशाली राजा था। उसके दो पुत्र भानु प्रताप और दूसरा- अरिमर्दन थे। रामायण के अनुसार, पिता के मृत्यु के बाद भानु प्रताप ने राजकाज संभाला और अपने राज्य के विस्तार के लिए युद्ध शुरू कर दिए। युद्ध के दौरान उसने कई राजाओं को हराया और उनके राज्य पर कब्जा कर लिया। भानु प्रताप के राज में प्रजा बहुत खुश थी।
रामायण के अनुसार, एक दिन भानु प्रताप विंध्याचल के घने जंगलों में शिकार पर निकला। वहां उसे जानवर दिखाई दिया। जानवर का पीछा करते-करते वह जंगल के बहुत अंदर तक चला गया और भटक गया। जानवर का पीछा करते वक्त वह अकेला था। इस दौरान वह भूख-प्यास से व्याकुल होने लगा। काफी भटकने के बाद उसे एक कुटिया दिखाई दिया, जहां उसे एक मुनि दिखाई दिए। कहा जाता है कि वह मुनि और कोई नहीं, भानु प्रताप का हराया हुआ एक राजा था। उस मुनि को भानु प्रताप तो नहीं पहचान सका, लेकिन मुनि ने उसे पहचान लिया। भानु प्रताप ने मुनि से कर एक रात के लिए शरण मांगी। मुनि की बातों से भानु प्रताप बहुत ही प्रभावित हुआ।
रामायण के अनुसार, इसके बाद मुनि से भानु प्रताप ने विश्व विजयी बोने का उपाय पूछा। भानु प्रताप के उस सवाल के बाद मुनि पास यही मौका था युद्ध में मिली हार का बदला लेने का। मुनि ने राजा से कहा कि वह 1000 ब्रह्मणों को भोजन करायेगा तो वह विश्व विजयी बन जाएगा। इसके साथ ही मुनि ने कहा कि मैं भोजन बनाऊंगा और तुम परोसोगे। इसके बाद मुनि ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो फिर तुम्हे दुनिया में कोई नहीं हरा सकता।
इसके बाद भानु प्रताप सो गए और अगले दिन वहां से चले गए। तय कार्यक्रम के अनुसार, मुनि को भानु प्रताप के यहां भोजन बनाने जान था लेकिन मुनि खुद न जाकर राक्षस काला केतु को अपना रूप धराण करवा के भेज दिया। रामायण के अनुसार, काला केतु राक्षस भी भानु प्रतास से बदला लेना चाहता था। रामायण में बताया गया है कि भानु प्रताप ने काला केतु के 100 पुत्रों और 10 भाइयों को मार दिया था।
रामायण के अनुसार, काला केतु राक्षस ने भानु प्रताप के यहां जाकर भोजन बनाया। भोजन में उसने मांस मिला दिया। बताया जाता है कि जब भोजन परोसा जा रहा था तब आकाशवाणी हुई और कहा गया कि भोजन खाने के बाद उनका धर्म नष्ट हो जाएगा। इसके बाद ब्राह्मण क्रोधित हो गए और भानु प्रताप को श्राप दिए कि अगले जन्म में तुम परिवार समेत राक्षस बनोगे।
इस पर भनु प्रताप ने रसोई में जाकर मजरा समझा। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। क्योंकि इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी, लेकिन ब्राह्मण श्राप दे चुके थे। धीरे-धीरे उसका राजपाट चला गया और वह युद्ध में मारा गया। अगले जन्म में भानु प्रताप 10 सिर वाला राक्षस रावण बना। जबकि उसका छोटा भाई अरिमर्दन कुंभकरण बना। वहीं उसका सेनापति धर्मरुचि सौतेला भाई विभीषण बना।