ऐसे में माना जाता है कि भगवान शिव के माह में शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इसके तहत सावन के शनिवार के दिन भगवान शिव के पश्चात शनि की पूजा काफी विशेष मानी गई है।
वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सावन शनिवार को इसलिए भी खास माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव शंकर ने ही शनिदेव को न्याय का देवता बनाते हुए उनका मार्गदर्शन किया था।
ऐसे में मान्यता है कि भगवान शिव के भक्तों पर सामान्य रूप से तो शनि देव के दुष्प्रभाव पड़ते ही नहीं हैं, लेकिन यदि किसी पर शनि का दुष्प्रभाव असर भी करता है तो भगवान शिव की कृपा से उसे जल्द ही इससे निजात भी मिल जाती है।
जानकारों के अनुसार यूं तो शनि को किसी भी शनिवार के दिन किए जाने वाले उपायों से प्रसन्न किया जा सकता है, लेकिन ये बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवों में से नहीं हैं। ऐसे में इन्हें प्रसन्न करने के लिए लगातार उपाय करते रहने पड़ते है। ज्योतिष के जानकार एसके पांडे के अनुसार शनि को चूंकि लगातार प्रसन्न करने के बावजूद बड़ी मुश्किल में प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसे में सावन के शनिवार ही वह समय होता है जब शनि जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
इनके आराध्य शिव होने के कारण ये भगवान शिव के सामने या साथ अपनी पूजा से तुरंत प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा हर शनिवार को किए जाने वाले उपाय भी सावन के शनिवार को ज्यादा प्रभावी माने जाते हैं और सामान्य शनिवार से कई गुना अधिक फल प्रदान करते हैं।
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सावन में शनि को जल्द प्रसन्न करने के उपाय (मान्यता के अनुसार) :
(1) सावन में शनिवार के दिन भगवान शिव के समक्ष शनिदेव की पूजा शनि को जल्द प्रसन्न करती है।
(2) सावन के शनिवार को शिवलिंग का जलाभिषेक जल में काले तिल डालकर करने से शनि देव की कृपा बरसती है।
(3) सावन शनिवार को गहरा नीले रंग (शनिदेव का प्रिय रंग ) के वस्त्र पहनकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
(4) शनिदेव के मंत्रों का जाप सावन शनिवार को रुद्राक्ष की माला से करने से भी शनि के दोष से मुक्ति मिलती है।
अन्य सामान्य उपाय
(1) शनिवार को गाय के बछड़े को तेल का पराठे पर कोई मीठा पदार्थ रखकर खिलाएं।
(2) शनिवार के दिन पीपल की पूजा के बाद परिक्रमा के पश्चात किसी काले कुत्ते को सात लड्डू खिलाएं।
(3) काली गाय की पूजा करने के साथ ही गाय के माथे पर तिलक लगाने के बाद सींग में पवित्र धागा भी बांधे और फिर धूप बत्ती दिखाते हुए गाय की आरती उतारें। अंत में गाय की परिक्रमा करने के बाद उसको चार बूंदी के लड़्डू भी खिलाएं।
(4) शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा कर उस पर सरसों का तेल चढ़ाएं। यह प्रक्रिया सूर्योदय से पूर्व की जानी चाहिए। पूजा के बाद पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
(5) शनिवार को बंदरों को गुड़ और काले चने खिलाने के अलावा केले या मीठी लाई भी खिला सकते हैं।
(6) शनिदेव को शनिदेव को तेल अर्पित करते हुए उनका पूजन करें। फिर शनिदेव को नीले पुष्प चढ़ाते हुए शनि मंत्र का जाप करें।
शनि मंत्र: ‘ऊँ शं शनैश्चराय नम:।’