बेंगलूरु. राजाजीनगर जैन स्थानक में साध्वी चैतन्यश्री ने धर्मसभा में कहा कि परमात्मा के सूत्र हमें पाप कर्मों से बचाते हैं। हमारे जीवन में सुयोग हमें सुयोग्य बनाने के लिए आते हैं। हमारी आत्मा का जितना भला हम कर सकते हैं, उतना कोई और नहीं कर सकता। ज्ञानी कहते है कि जो जीव अपने जीवन में चर्म ,कर्म और धर्म को जान लेगा वह अध्यात्म जगत और भौतिक जगत को जान लेगा। यह देह हमें पूर्व कर्मों को क्षय करने के लिए प्राप्त हुआ है। हम इसे सजाने संवारने में व्यर्थ कर रहे हैं। इस देह से हमें साधनों को नहीं, साधना को प्राप्त करना है। जब तक हमारा यह शरीर स्वस्थ है हमें धर्म-साधना-आराधना कर लेनी चाहिए। अशुभ कर्म करोगे तो अशुभ कर्म का ही उदय होगा।
इसके पूर्व साध्वी जिज्ञासा ने कहा कि सफल एवं सार्थक जीवन के लिए कर्म जरूरी है, लेकिन उसके साथ विवेक भी जरूरी है।राजाजीनगर संघ अध्यक्ष प्रकाशचंद चाणोदिया ने आभार ज्ञापित किया। संचालन संघ मंत्री नेमीचंद दलाल ने किया।