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धर्म-कर्म

प्रथम पूज्य गणेशजी के मंगलकारी 32 रूप, जो समस्त संकटों का नाश करते हैं

– भगवान श्रीगणेश स्वयं रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं।

Nov 01, 2022 / 10:17 am

दीपेश तिवारी

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सनातन धर्म में सबसे प्रमुख आदि पंच देव को माना जाता है, जिनमें श्रीगणेश, भगवान विष्णु, देवी मां दुर्गा, भगवान शिव व सूर्य नारायण शामिल हैं। वहीं श्रीगणेश को समस्त देवों में प्रथम पूज्य माना जाता है। जबकि ज्योतिष में श्रीगणेश बुद्धि के देवता होने के साथ ही ग्रहों में बुध के कारक देव माने जाते हैं।

पंडित एके शुक्ला के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की निर्विघ्न सम्पन्नता के लिए भगवान श्रीगणेश जी का ही सर्वप्रथम स्मरण परमावश्यक माना गया है। भगवान श्रीगणेश स्वयं रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वे भक्तों की बाधा, संकट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं। श्री गणेश जी विशेष पूजा का दिन बुधवार माना गया है।

जानकारों के अनुसार इस दिन भगवान श्रीगणेश की सच्चे मन से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह भी शांत हो जाता है।

वहीं राशिचक्र की तीसरी व छठी राशि क्रमश: मिथुन व कन्या (जन्मकुंडली के अनुसार) के जातकों के स्वामी बुध होते हैं और और बुध के देवता भगवान श्री गणेश ही है, अत: इस राशि वाले जातकों को भी हमेशा श्री गणेश की पूजा करते रहना चाहिए।

पं. शुक्ला के अनुसार अलग-अलग युगों में श्री गणेश के अलग-अलग अवतारों ने संसार के संकट का नाश किया। शास्त्रों में भगवान श्री गणेश के 32 मंगलकारी स्वरूप वर्णित हैं, जो इस प्रकार हैं…

: श्री बाल गणपति- छ: भुजाओं और लाल रंग का शरीर।
: श्री तरुण गणपति- आठ भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर।
: श्री भक्त गणपति- चार भुजाओं वाला सफेद रंग का शरीर।
: श्री वीर गणपति- दस भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर।
: श्री शक्ति गणपति- चार भुजाओं वाला सिंदूरी रंग का शरीर
: श्री द्विज गणपति- चार भुजाधारी शुभ्रवर्ण शरीर।
: श्री सिद्धि गणपति- छ: भुजाधारी पिंगल वर्ण शरीर।
: श्री विघ्न गणपति- दस भुजाधारी सुनहरी शरीर।
: श्री उच्चिष्ठ गणपति- चार भुजाधारी नीले रंग का शरीर।
: श्री हेरंब गणपति- आठ भुजाधारी गौर वर्ण शरीर।
: श्री उद्ध गणपति- छ: भुजाधारी कनक अर्थात सोने के रंग का शरीर।
: श्री क्षिप्र गणपति- छ: भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर।
: श्री लक्ष्मी गणपति- आठ भुजाधारी गौर वर्ण शरीर।
: श्री विजय गणपति- चार भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर।
: श्री महागणपति- आठ भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर।

: श्री नृत्य गणपति- छ: भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर।
: श्री एकाक्षर गणपति- चार भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर
: श्री हरिद्रा गणपति- छ: भुजाधारी पीले रंग का शरीर।
: श्री त्र्यैक्ष गणपति- सुनहरे शरीर, तीन नेत्रों वाले चार भुजाधारी।
: श्री वर गणपति- छ: भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर।
: श्री ढुण्डि गणपति- चार भुजाधारी रक्तवर्णी शरीर।
: श्री क्षिप्र प्रसाद गणपति- छ: भुजाधारी, रक्तवर्णी, त्रिनेत्र धारी।
: श्री ऋण मोचन गणपति- चार भुजाधारी लालवस्त्र धारी।
: श्री एकदंत गणपति- छ: भुजाधारी श्याम वर्ण शरीरधारी।
: श्री सृष्टि गणपति- चार भुजाधारी, मूषक पर सवार रक्तवर्णी शरीरधारी।
: श्री द्विमुख गणपति- पीले वर्ण के चार भुजाधारी और दो मुख वाले।
: श्री उद्दंड गणपति- बारह भुजाधारी रक्तवर्णी शरीर वाले, हाथ में कुमुदनी और अमृत का पात्र होता है।
: श्री दुर्गा गणपति- आठ भुजाधारी रक्तवर्णी और लाल वस्त्र पहने हुए।
: श्री त्रिमुख गणपति- तीन मुख वाले, छ: भुजाधारी, रक्तवर्ण शरीरधारी।
: श्री योग गणपति- योगमुद्रा में विराजित, नीले वस्त्र पहने, चार भुजाधारी।
: श्री सिंह गणपति- श्वेत वर्णी आठ भुजाधारी, सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले।
: श्री संकट हरण गणपति- चार भुजाधारी, रक्तवर्णी शरीर, हीरा जड़ित मुकुट पहने।

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