इसके बाद सूत को 7 बार होलिका पर लपेटें और अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। फिर होलिका की 3 बार परिक्रमा करें और समस्त पूजन सामग्री पास ही रखकर जल चढ़ाकर वापस आएं। मान्यता है कि इस तरह पूजा के बाद मनोकामना जल्द पूरी होती है। यह भी मान्यता है कि कई दिनों तक जलने वाली होलिका की लकड़ी जल्दी ठंडी होने पर शुभ होता है।
इसके बाद मंत्र
अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:
का कम से कम एक माला जाप करें। मान्यता है कि इस शुभ मंत्र से सुख, समृद्धि, आरोग्य और सफलता के द्वार खुलते हैं।
1. होलिका दहन के लिए लकड़ी जुटाना और स्त्रियों द्वारा होलिका पूजन
2. होलिका दहन से पूर्व उसका पूजन, अर्घ्य
3. होलिका दहन और प्रदक्षिणा
4. राक्षसी के नाश के लिए शोर मचाना (मान्यता है कि इससे बीमारियां दूर होते हैं, छोटे बच्चे स्वस्थ होते हैं)
5. होलिका की अग्नि में नया अन्न पकाना
6. रात में गीत गाना, नृत्य करना
7. प्रतिपदा के दिन धूलि वंदन और धुलेंडी मनाना (पलाश के फूलों में रोगाणु मारने का गुण होता है और इसके रंग एक दूसरे को लगाने से चर्म रोग दूर होता है)
8. बच्चों द्वारा काष्ठ की तलवार से आपस में खेलना
9. काम पूजा और चंदन मिश्रित आम का बौर ग्रहण करना