दो का महत्व
– दो लिंग- नर और नारी।
– दो पक्ष- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
– दो पूजा- वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
– दो अयन- उत्तरायन और दक्षिणायन।
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मार्च 2020 में ये प्रमुख व्रत, पर्व त्यौहार मनाएं जाएंगे
तीन का महत्व
– तीन देव- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
– तीन देवियां- महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
– तीन लोक- पृथ्वी, आकाश, पाताल।
– तीन गुण- सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
– तीन स्थिति- ठोस, द्रव, गैस ।
– तीन स्तर- प्रारंभ, मध्य, अंत।
– तीन पड़ाव- बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
– तीन रचनाए- देव, दानव, मानव।
– तीन अवस्था- जागृत, मृत, बेहोशी।
– तीन काल- भूत, भविष्य, वर्तमान।
– तीन नाड़ी- इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
– तीन संध्या- प्रात:, मध्याह्न, सायं।
– तीन शक्ति- इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।
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होली के दिन घर के सभी वास्तु दोष हो जाएंगे खत्म, कर लें इन 64 योगिनीयों की ये सरल पूजा
चार का महत्व
– चार धाम- बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
– चार मुनि- सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
– चार वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
– चार निति- साम, दाम, दंड, भेद।
– चार वेद- सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
– चार स्त्री- माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
– चार युग- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
– चार समय- सुबह,दोपहर, शाम, रात।
– चार अप्सरा- उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
– चार गुरु- माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
– चार प्राणी- जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
– चार जीव- अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
– चार वाणी- ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
– चार आश्रम- ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
– चार भोज्य- खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
– चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
– चार वाद्य- तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।
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कुंडली के इन ग्रहों के कुपित होने पर होती है ये गंभीर बीमारी
पांच का महत्व
– पांच तत्व- पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
– पांच देवता- गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
– पांच ज्ञानेन्द्रियां- आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
– पांच कर्म- रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
– पांच उंगलियां- अगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
– पांच पूजा उपचार- गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य।
– पांच अमृत- दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
– पांच प्रेत- भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
– पांच स्वाद- मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
– पांच वायु- प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
– पांच इन्द्रियां- आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
– पांच वटवृक्ष- सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
– पांच पत्ते- आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
– पांच कन्या- अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।
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छः का महत्व
– छ: ॠतु- शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
– छ: ज्ञान के अंग- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
– छ: कर्म- देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
– छ: दोष- काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।
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पितृ दोष से की पीड़ा से तुरंत मिलेगी मुक्ति, एक बार कर लें यह उपाय
सात का महत्व
– सात छंद- गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
– सात स्वर- सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
– सात सुर- षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
– सात चक्र- सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मूलाधार।
– सात वार- रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
– सात मिट्टी- गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
– सात महाद्वीप- जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
– सात ॠषि- वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
– सात ॠषि- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
– सात धातु (शारीरिक)- रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
– सात रंग- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
– सात पाताल- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
– सात पुरी- मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
– सात धान्य- गेहूं, चना, चांवल, जौ मूंग,उड़द, बाजरा।
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शनि देव का ये उपाय कंगाल को भी बना देगा महाकरोड़पति
आठ का महत्व
– आठ मातृका- ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
– आठ लक्ष्मी- आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
– आठ वसु- अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
– आठ सिद्धि- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
– आठ धातु- सोना, चांदी, तांबा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।
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हनुमान जी बना देंगे मालामाल, जरूर करें यह काम
नौ का महत्व
– नवदुर्गा- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
– नवग्रह- सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
– नवरत्न- हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
– नवनिधि- पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।
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7 पीढियों तक खत्म नहीं होगा धन और सम्मान, घर के मुख्य दरवाजे के आगे पीछे कर लें ये टोटका
दस का महत्व
– दस महाविद्या- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
– दस दिशाएं- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
– दस दिक्पाल- इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
– दस अवतार (विष्णुजी)- मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
– दस सती- सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।
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