3- ध्वनियां 10 तरह की होती है- 1- घंटी, 2- शंख, 3- बांसुरी, 4- वीणा, 5- मंजीरा, 6- करतल, 7- बीन (पुंगी), 8- ढोल, 9-नगाड़ा और 10- मृदंग।
4- हिंदू धर्म में 10 कर्तव्य बताएं गए है- 1- संध्यावंदन, 2- व्रत, 3- तीर्थ, 4- उत्सव, 5- दान, 6- सेवा 7- संस्कार, 8- यज्ञ, 9- वेदपाठ, 10- धर्म प्रचार। आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से।
5- देवीय आत्मा 10 होती है- 1- कामधेनु गाय, 2- गरुढ़, 3- संपाति-जटायु, 4- उच्चै:श्रवा अश्व, 5- ऐरावत हाथी, 6- शेषनाग-वासुकि, 7- रीझ मानव, 8- वानर मानव, 9- येति, 10- मकर ।
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6- देवीय वस्तुएं 10 होती है- 1- कल्पवृक्ष, 2- अक्षयपात्र, 3- कर्ण के कवच कुंडल, 4- दिव्य धनुष और तरकश, 5- पारस मणि, 6- अश्वत्थामा की मणि, 7- स्यंमतक मणि, 8- पांचजन्य शंख, 9- कौस्तुभ मणि और संजीवनी बूटी।
7- पवित्र पेय पदार्थ- 10 होते हैं- 1- चरणामृत, 2- पंचामृत, 3- पंचगव्य, 4- सोमरस, 5- अमृत, 6- तुलसी रस, 7- खीर, 9- आंवला रस।
8- महाविद्या 10 होती है- 1- काली, 2- तारा, 3- त्रिपुरसुंदरी, 4- भुवनेश्वरी, 5- छिन्नमस्ता, 6- त्रिपुरभैरवी, 7- धूमावती, 8- बगलामुखी, 9- मातंगी और 10- कमला।
9- उत्सव 10 प्रकार के होते हैं- नवसंवत्सर, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, पोंगल, होली, दीपावली, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्री और नवरात्रि ।
10- बाल पुस्तकें 10 होती है- 1- पंचतंत्र, 2- हितोपदेश, 3- जातक कथाएं, 4- उपनिषद कथाएं, 5- वेताल पच्चिसी, 6- कथासरित्सागर, 7- सिंहासन बत्तीसी, 8- तेनालीराम, 9- शुकसप्तति, 10- बाल कहानी संग्रह।
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11- पूजा 10 मानी जाती है- गंगा दशहरा, आंवला नवमी पूजा, वट सावित्री, तुलसी विवाह पूजा, शीतलाष्टमी, गोवर्धन पूजा, हरतालिका तिज, दुर्गा पूजा, भैरव पूजा और छठ पूजा।
12- धार्मिक स्थल 10 माने जाते हैं- ज्योतिर्लिंग 12, शक्तिपीठ 51, धाम 4, पुरी 7, नगरी 7, मठ 4, आश्रम 10, समाधि स्थल 10, सरोवर 5, पर्वत 10 और गुफाएं भी 10 मानी जाती है।
13- पूजा के फूल 10 माने जाते हैं- आंकड़ा, गेंदा, पारिजात, चंपा, कमल, गुलाब, चमेली, गुड़हल, कनेर, और रजनीगंधा।
14- धार्मिक सुगंध 10 मानी जाती है- गुग्गुल, चंदन, गुलाब, केसर, कर्पूर, अष्टगंथ, गुढ़-घी, समिधा, मेहंदी, चमेली।
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15- कुल सिद्धांत 10 माने जाते हैं-
1- एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्वर है दूसरा नहीं),
2- आत्मा अमर है।
3- पुनर्जन्म होता है।
4- मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है।
5- कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है।
6- संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है।
7- ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है।
8- संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है।
9.वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है।
10- दान ही पुण्य है।
15- यम-नियम 10 होते हैं- 1- अहिंसा, 2- सत्य, 3- अस्तेय 4- ब्रह्मचर्य और 5- अपरिग्रह। 6- शौच 7- संतोष, 8- तप, 9- स्वाध्याय और 10- ईश्वर-प्रणिधान।
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