हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनसार धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं। अवतार के क्रम में त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान जी के रूप में अवतार लिया था। महाबली हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं।
रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है। कहा जाता है कि रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है, लेकिन महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं।
जीवित हैं हनुमान जी
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका में बहुत ढूढ़ने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैंठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला। सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अति प्रसन्न होकर अमरता का वरदान दिया था।
भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही एक दिन यह बता दिया था कि वें धरती के सफर को पूरा करके अपने स्वधाम चलें जाएंगे। यह सुनकर हनुमान जी को सबसे ज्यादा दुःख हुआ और वें तुरंत माता सीता के पास कहते हैं- ‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहां क्या करूंगा। दुःखी होकर माता सीता से बोले हे माता मुझे दिया हुआ अमरता का वरदान आप वापस ले लो।
हनुमान जी और माता सीता के बीच चल रही बातचीत में भगवान राम जी भी वहां आकर हनुमान जी को गले बोले, हे हनुमान मेरे बाद जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है। हे प्रिय हनुमान राम के भक्तों का उद्धार तुमको ही करना है, इसलिए तुमको अमरता का वरदान सीता जी ने दिया था। तभी से कहा जाता है हनुमान जी जीवित हैं और जहां-जहां राम जी का नाम लिया जाता है वहां किसी न किसी रूप में हनुमान जी विराजमान रहते ही है। ऐसी कथा भी है कि कलयुग सबके सहायक रहेंगे।
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