यदि आपके सामने ऐसी कोई समस्या आ गई है जिसका कोई समाधान आपको नजर नहीं आ रहा है और आप सभी तरफ से घिर चुके हैं तो ऐसी स्थिति में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना आपके लिए ब्रह्मास्त्र का कार्य करेगा। याद रखें कि दुर्गा सप्तशती के पाठ में कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखना होता है, इसलिए आप यथासंभव शाकाहारी रहें, स्त्रियों की निंदा अथवा उनका अपमान न करें तथा घर आए भिखारियों को भोजन अवश्य दें।
मां भगवती के दस अलग-अलग स्वरूप माने गए हैं जिन्हें एक साथ दशमहाविद्या कहा जाता है। इनकी आराधना करना भी जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति दिला सकती है। परन्तु इनकी साधना में सबसे महत्वपूर्ण बात जो आपको ध्यान रखनी चाहिए कि समस्त दस स्वरूपों की पूजा घर पर करना संभव नहीं है वरन तीन या चार देवियों की ही पूजा घर पर की जा सकती है। शेष स्वरूपों की आराधना करने के लिए श्मशान अनिवार्य है। इसके साथ ही किसी योग्य गुरु की देखरेख में ही आप इनकी आराधना करें तो फायदा होगा अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है।
यदि आप अधिक पूजा-पाठ करने में सक्षम नहीं है और आपके पास समय का भी अभाव है या आप शुद्ध संस्कृत नहीं बोल सकते तो काली सहस्रनाम का जप करना भी आपके लिए उचित रहेगा। इसके शब्द सरल हैं तथा इसका पाठ तुरंत असर भी दिखाता है।