Jagannath rath Yatra : भगवान जगन्नाथ के साक्षात दर्शन
साधना पथ के जानकार लोग आषाड़ मास की गुप्त नवरात्रि को शक्ति की आराधना के लिए बहुत ही उपयुक्त समय बताते हुए कहते है साधना से सिद्धि प्राप्ति के इच्छुक साधक अगर इस गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा के इन शक्तिशाली दिव्य मंत्रों का जप नित्य सुबह शाम को श्रद्धा पूर्वक करते हैं तो साधक की उपासना फलीभूत होकर, धन ऐश्वर्य देने के साथ जीवन की समस्त समस्याओं का नाश भी हो जाता है।
gupt navratri : 9 दिन में से किसी भी एक दिन कर लें ये असरदार उपाय, मां दुर्गा भवानी भर देगी झोली
माँ दुर्गा के सिद्ध मंत्र
1- सभी के कल्याणार्थ इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
2- आरोग्य एवं सौभाग्य के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
3- सर्व बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
4- गुणवान पत्नी की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्भवाम्।।
5- दरिद्रता नाश के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।
6- ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
7- सभी विपत्तियों के नाश के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
8- शत्रु नाश के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।
9- स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
10- सर्वविघ्नों के नाश के लिए इस मंत्र का रोज 108 बार जप करें-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
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