इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान का नाम सकारात्मक व निर्माणकारी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है और जैसे हर चीज की सीमा होती है, उसी तरह सकारात्मक ऊर्जा की भी एक सीमा होती है। ऐसे में भगवान की मूर्तियों को शो-पीस की तरह अपने घर, ऑफिस आदि में स्थान देना बिल्कुल ठीक नहीं होता क्योंकि, भगवान सजावटी वस्तु न होकर पूजा करने योग्य हैं। उनकी शक्ति, पवित्रता व मर्यादा का भी मनुष्य को पूरी तरह पालन करना चाहिए।
पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक पुराने समय में हमारे पास देवी देवताओं की गीली मिट्टी से निर्मित साधारण सी मूर्तियां ही हुआ करती थीं। लेकिन इसके बाद मिट्टी की मूर्तियों मे रंगों का उपयोग होना शुरू हुआ।
जिसके चलते देवी-देवताओं की मूर्तियों की भव्यता और भी बढ़ गई। ऐसी मूर्तियां मिट्टी की बनी उन साधारण मूर्तियों की अपेक्षा ज्यादा चमकदार, सुंदर, कलाकृत, भव्य व टिकाऊ होती हैं।
वहीं आज भगवान की उन मिट्टी की रंगीन मूर्तियों के स्थान पर बाजारों में प्लास्टिक, पीओपी, धातु, चांदी, सोने, कांच, फोटो व कैलेंडर आदि के रूप में देवताओं की मूर्तियां या फोटो उपलब्ध होने लगी हैं।
वहीं पं. शर्मा के मुताबिक वर्तमान मे अधिकांश देखा गया है कि लोग अपने मकान, दुकान व ऑफिस में देवी-देवताओं की मूर्तियां, फोटो और कैलेंडर किसी भी स्थान व किसी भी दिशा में लगा देते हैं, जहां उन्हें लगाना कताई उचित नहीं होता है।
उनके अनुसार आज हमें अनेक अवसरों पर उपहार में देवी-देवताओं की मूर्तियां ही मिलती हैं। ऐसे में उपहार में मिली इन मूर्तियों को हम अपने घर व ऑफिस में किसी भी स्थान पर रख देते हैं।
इनके अलावा आजकल ज्यादातर वैवाहिक निमंत्रण पत्रों पर भगवान श्री गणेश की छोटी सी प्लास्टिक की प्रतिमा लगी रहती है, हम कार्ड पर लगी इन प्लास्टिक की प्रतिमा को निमंत्रण पत्र से निकाल कर अपने घर पर कहीं भी रख देते हैं, यह भी नहीं देखते कि यह उचित स्थान है या नहीं ?
इस संबंध में वास्तु शास्त्र की जानकार एम लोहनी के अनुसार, देवी-देवताओं की मूर्तियां, फोटो, कैलेंडर आदि को मुख्यत: किचन, बेडरूम, बाथरूम, लॉन आदि में नहीं लगानी चाहिए। इन मूर्तियों, फोटो, कैलेंडर को केवल घर व ऑफिस के पूजा स्थान पर ही लगाना चाहिए।
वहीं 6 इंच से बड़ी भगवान की मूर्तियां घर के पूजा स्थान मे नहीं लगानी चाहिए। साथ ही किसी भी प्रकार से भगवान की टूटी हुए (खंडित) या फटी फोटो घर या ऑफिस में नहीं रखनी चाहिए। इसके अलावा मूर्तियां व फोटो किसी भी स्थान पर टेढ़ी नहीं रखनी चाहिए साथ ही मूर्तियों की मर्यादा का पूरा ख्याल रखना अनिवार्य है।
वहीं देवी-देवताओं की किसी धातु, प्लास्टिक, कांच, चांदी, सोने से निर्मित मूर्ति शोपीस नहीं, अपितु एक सकारात्मक व निर्माणकारी ऊर्जा का प्रतीक है। ऐसे मे इस ऊर्जा के प्रतीक को सही स्थान पर ही रख उनकी शक्ति, पवित्रता व मर्यादा का हमें पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
इसके साथ ही कुछ देवताओं की मूर्तियां घर में रखना बहुत ही अशुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, कुछ देवताओं जिनमें मुख्यत: शनि देव, भैरव देव, राहु-केतु, नटराज शामिल हैं, की मूर्तियां घर में नहीं रखनी चाहिए।