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बड़ा से बड़ा रोग हो या हो अकाल मृत्यु का भय, सावन में कर लें ये काम, मृत्युंजय महादेव करेंगे कृपा

Goddess Mrityunjaya blessings in sawan: इस मृत्युंजय महादेव की इस जीवनदायनी स्तुति का पाठ दिन में दो बार करने से मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को भी जीवनदान मिल जाता है।

Jul 19, 2019 / 01:18 pm

Shyam

Goddess Mrityunjya blessings in sawan

बड़ा से बड़ा रोग हो या हो अकाल मृत्यु का भय, सावन में कर लें ये काम, मृत्युंजय महादेव करेंगे कृपा

अगर किसी को भयंकर मृत्यु तुल्य रोग हो गया हो या किसी कारण वश बार अकाल मृत्यु का भय सता रहा हो तो, ऐसे में बिलकुल भी नहीं घबराये। सावन मास के अलावा भी इस मृत्युंजय महादेव की इस जीवनदायनी स्तुति का पाठ दिन में दो बार करने और मृत्युंजय मंत्र की गाय के घी से 108 बार हवन करने से मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को भी जीवन दान मिल जाता है।

 

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यह मृत्युंजय महादेव शिव स्तुति तुरंत असर दिखाती है खासकर तब जब कोई व्यक्ति अकाल मृत्यु से भयभीत हो रहा हो। इसके पाठ से व्यक्ति को अकाल मौत का भय नहीं रहता। भगवान शंकर की यह एक ऐसी स्तुति है जिसका पाठ करने से एक साथ शिवजी के सभी रूप जाग्रत हो जाते हैं। इसका पाठ सावन मास में करने से यह सिद्ध हो जाती है।

 

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1- जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करूणाकर करतार हरे।
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुखसार हरे।
जय शशिशेखर, जय डमरूधर, जय जय प्रेमागार हरे।
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, नित्य अनन्त अपार हरे।
निर्गुण जय जय सगुण अनामय निराकार साकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

2- जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे।
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय महाकार, ओंकार हरे।
जय त्रयम्बकेश्वर, जय भुवनेश्वर, भीमेश्वर, जगतार हरे।
काशीपति श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अधहार हरे।
नीलकंठ, जय भूतनाथ, जय मृतुंजय अविकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

Goddess Mrityunjya blessings in sawan

3- भोलानाथ कृपालु दयामय अवढर दानी शिवयोगी।
निमिष मात्र में देते है नवनिधि मनमानी शिवयोगी।
सरल हृदय अति करूणासागर अकथ कहानी शिवयोगी।
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर बने मसानी शिवयोगी।
स्वयं अकिंचन जन मन रंजन पर शिव परम उदार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

4- आशुतोष इस मोहमयी निद्रा मुझे जगा देना।
विषय वेदना से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना।
रूप सुधा की एक बूद से जीवन मुक्त बना देना।
दिव्य ज्ञान भण्डार युगल चरणों की लगन लगा देना।
एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

5- दानी हो दो भिक्षा में अपनी अनपायनी भक्ति विभो।
शक्तिमान हो दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।
त्यागी हो दो इस असार संसारपूर्ण वैराग्य प्रभो।
परम पिता हो दो तुम अपने चरणों में अनुराण प्रभो।
स्वामी हो निज सेवक की सुन लीजे करूण पुकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

 

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6- तुम बिन व्यकुल हूं प्राणेश्वर आ जाओ भगवन्त हरे।
चरण कमल की बॉह गही है उमा रमण प्रियकांत हरें।
विरह व्यथित हूं दीन दुखी हूं दीन दयाल अनन्त हरे।
आओ तुम मेरे हो जाओ आ जाओ श्रीमंत हरे।
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

7- जय महेश जय जय भवेश जय आदि देव महादेव विभो।
किस मुख से हे गुणातीत प्रभुत तव अपार गुण वर्णन हो।
जय भव तारक दारक हारक पातक तारक शिव शम्भो।
दीनन दुख हर सर्व सुखाकर प्रेम सुधाकर की जय हो।
पार लगा दो भवसागर से बनकर करूणा धार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

8- जय मनभावन जय अतिपावन शोक नसावन शिवशम्भो।
विपति विदारण अधम अधारण सत्य सनातन शिवशम्भो।
वाहन वृहस्पति नाग विभूषण धवन भस्म तन शिवशम्भो।
मदन करन कर पाप हरन धन चरण मनन धन शिवशम्भो।
विश्वन विश्वरूप प्रलयंकर जग के मूलाधार हरे।
पारवती पति हर हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।

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