संक्षिप्त पूजन
श्री गणेश जी महाराज के पूजन की सरलतम विधि शास्त्रों में जो बताई गयी है, वह बहुत ही सरल व सहज है, जिसे करने लंबदोर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं । साधक प्रातः काल शुद्ध होकर गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करने के बाद उनके सामने बैठ कर पहले पुष्प, रोली, धुप, दीप जलाएं अछत अर्पित करें, सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा ११ नग समर्पित करने के बाद मोदक, मावा या मूंग के लड्डू जो कि उन्हें अधिक प्रिय हैं.. का भोग लगायें ।
उक्त पूजन होने के बाद 27 – 27 बार इन सभी मंत्रों का मन ही मन बार जप सफलता व समृद्धि की कामना से करें ।
मंत्र
1- ॐ चतुराय नम: ।
2- ॐ गजाननाय नम: ।
3- ॐ विघ्रराजाय नम: ।
4- ॐ प्रसन्नात्मने नम: ।
षोडशोपचार पूजन
उपरोक्त मंत्र को जपने के बाद नीचे दिये विधान के अनुसार शास्त्रोंक्त विधि से षोडशोपचार पूजन के क्रम एक – एक सामग्री, एक चांदी, तांबे या अन्य किसी पात्र में छोड़ते चलें-
अथ षोडशोपचार पूजनम् –
1- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः ध्यायामि
2- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आवाहयामि
3- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आसनं समर्पयामि
4- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि
5- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पाद्यं समर्पयामि
6- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पयामि
7- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः उपहारं समर्पयामि
8- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि
9- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि
10- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं धारयामि
11- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आभरणानि समर्पयामि
12- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः गंधं धारयामि
13- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः अक्षतान् समर्पयामि
14- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पुष्पैः पूजयामि
15- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः दक्षिणां समर्पयामि
16- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः प्रतिष्ठापयामि
इन सोलह प्रकार के पदार्थों से पूजन करने के बाद नीचे जी गई उत्तर पूजा भी करें-
उत्तर पूजा
1- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः धूपं आघ्रापयामि
2- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः दीपं दर्शयामि
3- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः नैवेद्यं निवेदयामि
4- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः फलमं समर्पयामि
5- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि
6- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः मंगल आरतीं समर्पयामि
7- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः कर्पूर नीराजनं समर्पयामि
8- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पुष्पांजलिः समर्पयामि
उपरोक्त विधान से पूजन होन के बाद इस मंत्र का 21 या 51 बार जप करें ।
मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।
मंत्र जप पूर्ण होने के बाद 11 बत्ति्यों वाले दीपक से श्री गणेश जी की महाआरती करें ।
।। श्री गणेश जी की आरती ।।
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ।।
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी ।
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी ।।
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा ।।
अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ।।
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा ।।
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ।।
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा ।।
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी ।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी ।।
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा ।।
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आरती समाप्त होने के बाद इस मंत्र का उच्चारण करते हुए क्षमा प्रार्थना एवं विसर्जन करें ।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं |
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व पुरुषोत्तम |
क्षमापनं समर्पयामि |
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुनरागमनाय च ||
।। इति समाप्त ।।