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Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। बुद्धि एवं विवेक के देवता गणेश जी को समर्पित यह व्रत समस्त कष्टों को हरने वाला माना जाता है।

जयपुरNov 15, 2024 / 03:20 pm

Sachin Kumar

यहां जानिए गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व।

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस पवित्र व्रत को हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि संकष्टी व्रत रखने से गणेश भगवान जीवन के सभी संकट दूर करते हैं। इस बार संकष्टमी चतुर्थी का व्रत 19 नवंबर 2024 को दिन मंगलवार को किया जाएगा। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और महत्व।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व शुभ मुहूर्त (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Ka Mahatva)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश भगवान को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का आगमन होता है और साथ ही सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। विवाहित स्त्रियां भी अपने पति और संतान की दीर्घायु के लिए संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं। इस व्रत को विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के दौरान भक्त गणेश भगवान की पूजा दिन भर उपवास रखकर करते हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत को खोलते हैं। आइए जानते हैं इस विशेष दिन का शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त(Ganadhipa Sankashti Chaturthi Ka Shubh Muhurt)

हिंदू पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी तिथि शुरुआत 18 नवम्बर 2024 को शाम के 06:55 बजे से होगी। वहीं इस चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन 19 नवंबर 2024 को शाम के 05:28 बजे होगा।
इस व्रत के दौरान भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जो दिन भर के उपवास के बाद रात को चंद्रमा के दर्शन कर समाप्त होती है।

पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

स्नान और संकल्प करें- व्रत करने वाले भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
गणेश जी की स्थापना- घर के पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।मंत्र जाप और पूजा- गणेश जी के मंत्र “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें। गणेश जी की प्रतिमा पर फूल, धूप, दीप, रोली, और अक्षत अर्पित करें।
भोग और प्रसाद- गणेश जी को मोदक, लड्डू, या कोई अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
चंद्र दर्शन- रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा का समापन करें। इसके बाद व्रत खोलें।

उपवास के समय सावधानी (Upvas ke Samya Savadhani)

  • संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन लहसुन, प्याज या किसी अन्य तामसिक भोजन से बचें। संभव हो तो केवल फलाहार करें या दूध और अन्य सात्विक आहार का सेवन करें।
  • व्रत के दौरान भगवान गणेश की कहानियां सुनें और उनके भजनों का पाठ करें।
धार्मिक कथाओं के अनुसार मान्यता है किगणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में सुख-शांति आती है। वहीं गणेश भगवान की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं। इसलिए इस दिन पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की आराधना करें।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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