शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥ पौष के कृष्णपक्ष की,सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा,आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥ नाम षटतिला माघ मास में,कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै,विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में,चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥ चैत्र शुक्ल में नाम कामदा,धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में,वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥ शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी,शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवशयनी नाम कहायो,शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥ कामिका श्रावण मास में आवै,कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥ अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की,परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में,व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
रमा मास कार्तिक में आवै,सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥ देवोत्थानी शुक्लपक्ष की,दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूंविनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥ परमा कृष्णपक्ष में होती,जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा,निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥ कब है देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है। इस साल यह एकादशी 23 नवंबर गुरुवार को पड़ रही है, जबकि इसका पारण 24 नवंबर को सुबह 6.45 बजे से 8.47 बजे तक करना श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन द्वादशी रात 10.36 बजे संपन्न हो जाएगी।