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यही कारण है कि धन त्रयोदशी के दिन विधि विधान से कुबेर की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से कुबरे पृथ्वी के संपूर्ण धन और संपदा के मालिक है। कुबरे को भगवान शिव को परम सेवक भी माना जाता है।
यही कारण है कि धन त्रयोदशी के दिन विधि विधान से कुबेर की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से कुबरे पृथ्वी के संपूर्ण धन और संपदा के मालिक है। कुबरे को भगवान शिव को परम सेवक भी माना जाता है।
कुबेर हैं स्थिर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर का धन स्थित होता है। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी से प्राप्त धन स्थिर नहीं होता है जबकि कुबरे से प्राप्त धन स्थिर होता है। यही कारण है कि घनतेरस को कुबेर की पूजा करने से घर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।
कुबेर का स्वरूप मान्यता के अनुसार, कुबेर कुरुप हैं और उनके तीन पैर और 8 काया है। कुबेर को यक्ष भी कहा जाता है। यक्ष को धन का रक्षक माना जाता है। यही कारण है कि मंदिरों या खजानों के बाहर इनकी प्रतिमाएं लगी रहती है।
कौन हैं कुबेर? कुबेर रावण के सौतेला भाई थे। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुबरे का दूसरा नाम वैश्रवण है। कुबेर महर्षि विश्रवा और इड़विड़ा के बेटे थे। जब कि रावण विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी का पुत्र था।
धनतेरस पर ऐसे करें कुबेर की पूज धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर कुबेर की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अगर मूर्ति या तस्वीर संभव ना हो तो अपनी तिजोरी को कुबेर मानकर विधि विधान से पूजा करें और इस मंत्र का जप करें ‘ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:’