तारकासुर का उत्पात
प्रेम की देवी रति की कहानी भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता है कि एक बार भगवान शिव अपनी पत्नि सती की मृत्यु के बाद अपनी तपस्या में लीन थे। उस दौरान तारकासुर नामक राक्षस ने देवलोक में भयंकर उत्पात मचाया हुआ था। जिससे देवताओं में भय पैदा हो गया। सभी देवता उसके डर से देवलोक को छोड़कर भागने लगे थे। मान्यता है कि राक्षस तारकासुर को वरदान था कि उसको केवल भगवान शिव के पुत्र ही मार सकते थे। लेकिन महादेव तपस्या में लीन थे तो यह भगवान महादेव के विवाह की संभावना भी नहीं थी। देवताओं की चाहत थी कि भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करें और तारकासुर से छुटकारा मिले। इसलिए देवताओं ने कामदेव से शिव जी की तपस्या भंग करने का आग्रह किया।
तपस्या भंग होने पर महादेव हुए क्रोधित
कामदेव ने भगवान शिव पर प्रेम बाण चलाया दिया जिससे उनकी तपस्या भंग हो गई। मान्यता है कि जैसे ही भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुलते ही कामदेव भस्म हो गए। कामदेव रति के पति थे। यह देख रति अत्यंत दुखी हो गईं और उन्होंने अपने पति के पुनर्जन्म की प्रार्थना करते हुए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। रति के समर्पण और भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हे वरदान मांगने को कहा। देवी रति ने भगवान शिव से अपने पति कामदेव को जीवित करने की इच्छा प्रकट की। महादेव ने रति की इच्छा स्वीकार करली और कामदेव का पुनर्जन्म प्रद्युम्न के रूप में हुआ। जो भगवान कृष्ण के पुत्र थे। यह भी पढ़ें