कब है देव दिवाली (Kab Hai dev Diwali)
देव दीपावली (Dev Deepawali 2024) का त्योहार कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन वाराणसी में दिवाली मनाने के लिए देवता भी धरती पर आते हैं। इसलिए इस दिन वाराणसी में गंगा घाटों को दीये से सजाया जाता है, घरों में दिवाली मनाई जाती है, प्रदोषकाल में दीपदान किया जाता है और पूरा शहर रोशनी से जगमगाता है। आइये जानते हैं कब है देव दीपावली … कार्तिक पूर्णिमा का प्रारंभः 15 नवंबर को सुबह 06:19 बजे से
पूर्णिमा तिथि समापनः 16 नवंबर 2024 को सुबह 02:58 बजे
देव दीपावलीः शुक्रवार, 15 नवंबर को (उदया तिथि में) यह भी पढ़ेः मुंगेर के इस मंदिर में माता सीता ने की थी छठ पूजा, तब श्रीराम को मिली थी इस पाप से मुक्ति
पूर्णिमा तिथि समापनः 16 नवंबर 2024 को सुबह 02:58 बजे
देव दीपावलीः शुक्रवार, 15 नवंबर को (उदया तिथि में) यह भी पढ़ेः मुंगेर के इस मंदिर में माता सीता ने की थी छठ पूजा, तब श्रीराम को मिली थी इस पाप से मुक्ति
देव दीपावली पूजा मुहूर्त (Dev Diwali Puja Muhurat)
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्तः शाम 05:10 बजे से 07:47 बजे तकअवधिः 02 घंटे 37 मिनट
क्यों मनाते हैं देव दिवाली (Kyu Mante hai Dev Diwali)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देव दीपावली (Dev Deepawali 2024) यानी कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध कर मानव और देवताओं की उसके अत्याचार से रक्षा की थी। इसके बाद जब महादेव काशी पहुंचे तो देवताओं ने काशी में दिवाली मनाई और दीये जलाए। इसी की स्मृति में देव दीपावली उत्सव मनाया जाने लगा। इसे त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है।क्या करते हैं देव दीपावली पर, जानें मान्यता (Kya Krte Hai Dev Diwali Par)
देव दीपावली यानी कार्तिक पूर्णिमा पर भक्त गंगा स्नान करते हैं और शाम को मिट्टी के दीये जलाकर पूजा करते हैं। इस दिन शाम ढलने पर गंगा के तट पर सभी घाटों की सीढ़ियों को दीये से सजाते हैं, इस समय लाखों मिट्टी के दीये गंगा पर जगमगा उठते हैं। इसकी शोभा देखते ही बनती है। इसके अलावा बनारस के सभी मंदिरों में भी दीये जलाए जाते हैं। दीपदान किया जाता है। यह भी पढ़ेः अच्छी सेहत के लिए आजमाएं ये वास्तु टिप्स, दूर रहेगी बड़ी परेशानी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि लोग इस दिन गंगा स्नान करने और दान-पुण्य करने को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन दीपदान करने से भगवान शंकर के साथ विष्णु जी की भी कृपा मिलती है।